मुलताई – वर्तमान समय में जब की मवेशियों की जरूरत समाप्त होने पर लोग उन्हें आवारा सड़कों पर भटकने को छोड़ देते हैं ऐसे में एक परिवार ने मवेशी प्रेम की एक अद्भुत मिसाल कायम की है ।
मामला ग्राम बिछुआ का है। ग्राम बिछुआ में एक बैल की मौत हो गई है और संपूर्ण परिवार शोक में डूबा हुआ है परिवारजनों का कहना है कि पिछले 10 सालों से बैल उनके परिवार में सदस्य जैसा रहता था। उसके ही सहारे उनकी खेती बाड़ी चलती थी। ऐसे में उसकी मौत परिवार के लिए बड़ा दुख है। बैल की मौत होने पर परिवार वालों ने उसे पीतांबरी उड़ाकर, ट्रैक्टर के सहारे खेत में ले जाकर विधि विधान से बेल का अंतिम संस्कार किया उसे जमीन में दफनाया गया है।

जिस तरह परिवार में किसी की मौत हो जाने पर घर के बाहर कंडे का धुआं किया जाता है। उसी तरह बैल की मौत हो जाने पर परिवार वालों ने घर के बाहर कंडो का धुंआ कर ग्रामीणों को बताया कि उनके घर में किसी सदस्य की मौत हो गई है। बिछुआ निवासी सावन्या साहू के इस बैल की मौत बीमारी के चलाते हो गई। परिवार का सदस्य मानकर इस बैल को परिवार के सभी लोग नंदी कहते थे।

वैसे तो यह बैल उनके परिवार में 20 सालों से है, लेकिन पिछले 10 सालों से नंदी के साथ इनका अलग ही रिश्ता बन गया था। विभिन्न शुभ अवसरों पर परिवार वाले नंदी को सजाकर बाजे गाजे के साथ पूरे गांव में भ्रमण कराते थे। कुछ दिनों से अचानक नंदी बीमार हो गया, परिवार वालो ने उसका उपचार भी कराया, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई। जिसके बाद साहू परिवार ने नंदी को नारियल, पीतांबरी देकर श्रद्धांजलि दी। ट्रैक्टर के सहारे उसकी शव यात्रा खेत तक ले गई, जहां खेत में गड्ढा खोदकर उसे खेत में ही दफना दिया गया है।
