मुलताई- नगर नगर के ऐतिहासिक रामलीला में बीती रात अहिरावण वध एवं मकरध्वज हनुमान युद्ध की लीला का सुंदर मंचन किया गया। जैसे-जैसे रामलीला अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है लोगों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है
बीती रात बड़ी संख्या में लोग रामलीला मंचन को देखने गांधी चौक पहुंचे। रामलीला में बाहर से बुलाए गए नर्तक भी इस वर्ष आकर्षण का केंद्र है बीती रात लीला मंच पर सत्यम शिवम सुंदरम के गाने पर जिन्होंने सुंदर प्रस्तुति दी जिसे सभी ने सराहा। मनोरंजन की बढ़ाते साजन के चलते रामलीलाओं के प्रति लोगों का रुझान भी काम हो रहा है किंतु 120 वर्षों से निरंतर गांधी चौक में आयोजित होने वाली रामलीला का आकर्षण बना रहे
इसके लिए रामलीला मंडली के लोग प्रतिवर्ष नए-नए प्रयोग करते हैं जो की बहुत हद तक सफल भी होते हैं। मुलताई नगर की ऐतिहासिक राम लीला नगर वासियों की आस्था का केंद्र है । रामलीला मंच को लेकर अनेक मान्यताएं हैं और यही कारण है कि रामलीला का सुंदर मंचन देखने अनेक जिलों से भी लोग यहां आते हैं ।
मकरध्वज एवं हनुमान मे हुआ भीषण युद्ध
बीती रात रामलीला मंच पर अहिरावण ,राम लक्ष्मण को बंधक बनाकर पाताल लोक ले गया राम लक्ष्मण को मुक्त कराने राम भक्त हनुमान पाताल लोक पहुंचे जहां उनकी भेंट पाताल लोक रक्षक के रूप में उन्हीं के प्रतिरूप मकरध्वज से हुई। मकरध्वज एवं हनुमान मे भीषण युद्ध हुआ जिसके बाद हनुमान को पता चला कि मकरध्वज उन्हीं का पुत्र है। हनुमान ने अहिरावण का वध कर पाताल लोक का राज्य मकरध्वज को सौप राम लक्ष्मण को लेकर वापस लौटे, मां काली का पाठ प्रति वर्ष अनुसार शिशु साहू ने किया वहीं मकरध्वज कपाट अमित शर्मा एवं अहिरावण की सुंदर भूमिका मनीष चंदेल ने निभाई, रामलीला मंचन में व्याश गादी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो कि बंटी मिश्रा सफलतापूर्वक बीते 15 वर्षों से संभाल रहे हैं।
संस्कारों की पाठशाला है नगर की रामलीला
नगर में प्रतिवर्ष दशहरे से प्रारंभ होने वाली ऐतिहासिक रामलीला, लीला के साथ ही संस्कारों की पाठशाला भी है। जिसकी एक विशेषता यह भी है कि इस लीला मे पाठ करने वाले पात्र सभी स्थानीय होते हैं । रामलीला आरंभ के पूर्व मुकुट पूजन होता है फिर हनुमानजी का ध्वज चढ़ाकर रामलीला का आवाहन किया जाता है इसके उपरांत लीला के मंचन की तैयारियां प्रारंभ होती है पात्रों की का प्रशिक्षण शुरू होता है जिसमें छोटे छोटे बच्चे भी अनेक पाठ निभाते है और इस प्रशिक्षण में राम के अनेक पात्रों और धार्मिक शिक्षा को ग्रहण करते हैं जो संस्कारों के रूप में हमेशा उनके साथ रहता है।
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