मित्र ,शत्रु ,शहीद जवान, गौ माता का भी होता है ताप्ती तट पर तर्पण,

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मुलताई – पितृपक्ष प्रारंभ होते ही ताप्ती तट रामघाट पर तर्पण कर अपने पितरों को मोक्ष दिलाने दूर-दूर से लोग पवित्र नगरी ताप्ती तट पहुंचते हैं और पंडित त्रिवेदी परिवार बीते 50 वर्षों से परंपरागत रूप से ताप्ती तट पर निशुल्क तर्पण प्रक्रिया कराते आ रहा है। साथ ही ताप्ती तट तर्पण समिति श्रद्धालुओं को निशुल्क तर्पण सामग्री उपलब्ध कराती है। ताप्ती तट पर होने वाले दर्पण की विशेषता यह भी है कि यहां मित्र, शत्रु, देश के लिए शहीद होने वाले जवान एवं गौ माता के लिए भी तर्पण किया जाता है।

पंडित गणेश त्रिवेदी बताते हैं कि नदिया हमेशा से ही मानव जीवन और जीवन से जुड़े संस्कार, संस्कृति की पोशक रही है यही कारण है की नदियों की अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं।   ताप्ती सृष्टि की प्रथम नदी मानी जाती  है यही कारण है कि ताप्ती जल में तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति की मान्यता है।

ताप्ती तट पर पंडित गणेश शंकर त्रिवेदी अपने पिता की परंपरा को वर्षों से निशुल्क पिंडदान एवं तर्पण क्रिया करा कर आगे बढ़ा रहे हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को तर्पण की सामग्री भी निशुल्क  समिति द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। निशुल्क तर्पण की  क्रिया पंडित गणेश त्रिवेदी के पिता दुर्गा शंकर त्रिवेदी ने 50 वर्ष पूर्व प्रारंभ की थी इस परंपरा को गणेश त्रिवेदी आगे बढ़ा रहे हैं पंडित गणेश त्रिवेदी बताते हैं पितृपक्ष मास में पितरों की आत्माएं वायुमंडल में सूक्ष्म रूप से भ्रमण करती है और हमारे पित्र यह अपेक्षा करते हैं कि उनके त्तराधिकारी तर्पण पिंडदान आदि धार्मिक अनुष्ठान कर उन्हें मोक्ष द्वार तक पहुंचाएं जो अपने पितरों को संतुष्ट करते हैं उन्हें धन्य- धान्य सुख शांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

पंडित त्रिवेदी बताते हैं कि ताप्ती में तर्पण का महत्व  प्रयाग एवं  हरिद्वार की भांति ही है क्योंकि ताप्ती को ताप नाशनि माना जाता है ताप्ती के जल से काइक, शारीरिक एवं वाचिक तीनों प्रकार के पापों का नाश होता है। ताप्ती जल में मिलने से सभी अवशेष जल में परिवर्तित हो जाते हैं यही कारण है कि कुंती पुत्र पांडव एवं सप्त ऋषियों ने भी ताप्ती जल में अपने पितरों का तर्पण किया था।

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