नगरकोट के पास हाईवे पर फिर मिला दुर्लभ वन्य स्तनपाई पैंगोलिन,

0

मुलताई वन परिक्षेत्र अधिकारी नितिन पवार ने बताया कि सूचना मिलने पर वन विभाग अमला जैसे ही घटना स्थल पर पहुंचा तब तक पैंगोलिन की मौत हो चुकी थी। मृत पैंगोलिन को वन विभाग द्वारा लाकर पशु चिकित्सक से पोस्टमार्टम करा कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है ।पैंगोलिन पर चोट के निशान पाए गए हैं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाईवे पर किसी वाहन के चपेट में आने से जख्मी हुआ था हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

यहां उल्लेखनीय है कि मुलताई क्षेत्र में दुर्लभ वन प्राणी पैंगोलिन के मिलने की यह तीसरी घटना है इसके पूर्व ग्राम डहुआ के सड़क किनारे भी पैंगोलिन मिला था। पैंगोलिन वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची क्रमांक 1 में सूचीबद्ध है जिसे उच्च सुरक्षा प्रदान की गई है। अपनी दुर्लभ बनावट और स्किल्स से बने कवच के कारण यह बहुत खास हो जाता है और यही कारण है कि दुनिया में इसकी सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है।


क्या मुलताई क्षेत्र में पैंगोलिन  संरक्षण के होंगे प्रयास,
पैंगोलिन के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं किंतु बार-बार मुलताई क्षेत्र में पैंगोलिन मिलने की पुष्टि के बावजूद इसके संरक्षण के प्रयास होते दिखाई नहीं दिए। संपूर्ण दुनिया में पैंगोलिन की आठ प्रजातियाँ हैं, जिनमें से चार एशिया में और चार अफ्रीका में पाई जाती हैं। दुर्भाग्य से, सभी आठ प्रजातियाँ विलुप्त होने के खतरे में हैं पैंगोलिन मुख्य रूप से चींटियों और दीमकों को खाते हैं, और उनकी लंबी, चिपचिपी जीभ उन्हें इन कीड़ों को पकड़ने में मदद करती है।
इनका कहना
मिले हुए पैंगोलिन का  पोस्टमार्टम करा कर अंतिम संस्कार कर दिया गया है पैंगोलिन मिलने की रिपोर्टिंग वरिष्ठ अधिकारियों को की जा रही है।

नितिन पवार
वन परिक्षेत्र अधिकारी मुलताई

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here