संजय द्विवेदी/ असलम अहमद
मानसून अब विदाई की कगार पर है। प्राय: 30 सितंबर के बाद वर्षाकाल समाप्त माना जाता है, लेकिन जिले में अब तक औसत बारिश का आंकड़ा पूरा नहीं हो सका है । जिले की सामान्य औसत बारिश 1084 मिमी है, जबकि इस वर्ष अब तक 984 मिमी यानी 39.4 इंच वर्षा दर्ज की गई है। अभी भी जिले में औसत बारिश का आंकड़ा पूरा करने के लिए लगभग 100 मिमी बारिश की दरकार है। जबकि गत वर्ष औसत बारिश का आंकड़ा 1246 मिमी. था। इस प्रकार यदि इस वर्ष औसत बारिश का आंकड़ा पूरा नहीं होता है, तो बारिश की यह कमी न केवल फसलों पर, बल्कि जलाशयों और आने वाले रबी सीजन की सिंचाई व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। कम वर्षा का सबसे बड़ा असर जलाशयों के जलभराव पर दिखाई दे रहा है। जिले में कुल दो सिंचाई डिवीजन बैतूल और मुलताई हैं। जिसमें बैतूल डिविजन के अंतर्गत आने वाले कुल 104 जलाशयों में से, मध्यम श्रेणी के दो जलाशय सांपना और घोघरी हैं, जिसमें से सांपना पूरी तरह भर चुका है वहीं घोघरी 84 प्रतिशत भरा है और 102 लघु जलाशयों में से 69 पूरी तरह भर सके हैं। वहीं 75 प्रतिशत से ज्यादा भर चुके जलाशय 10, 51 से 75 प्रतिशत तक 12 और 50 प्रतिशत से कम भरे वाले जलाशय 11 हैं। यह स्थिति बताती है कि जिले के कई हिस्सों में पानी का संकट रबी सीजन में गहराने वाला है।
पानी के बंटवारे को लेकर जल उपभोक्ता समिति लेगी निर्णय ………
रबी सीजन में किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए नवंबर से पानी उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए सभी किसानों को समान रूप से पानी मिलना बड़ा मुश्किल प्रतीत हो रहा है। वैसे जल संसाधन विभाग बैतूल के कार्यपालन यंत्री रोशन कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है कि पानी के बंटवारे को लेकर अंतिम निर्णय जिला जल उपभोक्ता समिति (डब्ल्यू.यू.ए.) की आगामी दिनों में होने वाली बैठक में लिया जाएगा। यह बैठक अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित है। विभाग फिलहाल सभी जलाशयों की स्थिति का डेटा एकत्र कर रहा है। अधिकारियों का मानना है कि सीमित जल संसाधनों का संतुलित बंटवारा ही इस बार सबसे बड़ी चुनौती होगी।

रबी में समान रूप से पानी मिलना असंभव………..
विभागीय सूत्रों के अनुसार जिन 69 जलाशयों में शत-प्रतिशत जलभराव हुआ है, वहां किसानों को एक पलेवा और दो पानी सिंचाई के लिए दिया जाएगा और जिनमें 50 से 75 प्रतिशत तक ही पानी है, वहां किसानों को एक पलेवा और एक पानी ही मिल पाएगा। इसी प्रकार जहां 50 प्रतिशत से कम पानी है वहां रबी सीजन में सिंचाई के लिए पानी मिलना मुश्किल प्रतीत हो रहा है, क्योंकि पशुओं और अन्य जरूरतों के लिए भी पानी सुरक्षित रखना होता है। इससे स्पष्ट है कि जिन क्षेत्रों के जलाशय अभी तक खाली हैं, वहां के किसानों को अपनी रबी फसल के लिए या तो निजी संसाधनों पर निर्भर रहना होगा या फिर वर्षा आधारित खेती ही करनी पड़ेगी।

फुल टैंक हुई मुलताई क्षेत्र की 90 प्रतिशत सिंचाई परियोजनाएं,
पारसडोह, चंदोरा, बुंडाला बांध हुए क्षमता के पार, वर्धा में 71.12 प्रतिशत
मुलताई सिंचाई डिवीजन बैतूल जिले का प्रमुख सिंचाई डिवीजन है जिसके अंतर्गत मुलताई, प्रभात पट्टन, आमला, आठनेर चार सब डिवीजन आते हैं। जिनके माध्यम से 4 मध्यम सिंचाई परियोजना एवं 88 लघु सिंचाई परियोजनाओं का क्रियान्वयन होता है।इसमें कुल सिंचाई परियोजनाओं की संख्या 92 है। इस वर्ष वर्षाकाल के लंबे अंतराल के बावजूद सिंचाई परियोजनाओं में जल आवक बहुत ही कम हुई थी, जिसने सिंचाई अधिकारियों और किसानों की चिंताएं बढ़ा दी थी किंतु अब, जब वर्षाकाल समाप्ति की ओर है, क्षेत्र की 90 प्रतिशत सिंचाई परियोजनाएं अपनी क्षमताएं को पार कर चुकी है। मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में वर्धा को छोड़ दिया जाए, तो पारसडोह बांध 99.09 प्रतिशत भर गया है। पारसडोह बांध का फुल टैंक लेवल 639.10 एमसीएम है, जो कि वर्तमान में 639.04 एमसीएम पर मेंटेन किया जा रहा है। चंदोरा बांध का फुल टैंक लेवल 685.950 एमसीएम है, जो वर्तमान में 685.92 एमसीएम अर्थात 99.09 प्रतिशत भर गया है। मुलताई क्षेत्र की बुंडाला बांध परियोजना चौथी बड़ी परियोजनाओं में से एक है, जिसका फुल टैंक लेवल 734. 55 एमसीएम है, जो वर्तमान में बांध का फुल टैंक लेवल 100 प्रतिशत तक पहुंच गया है और वेस्ट वेयर बह रहा है। इसके अलावा वर्धा की बात करें, तो यह दूसरी मध्यम सिंचाई परियोजना की तुलना में यहां जल आवक कम है। वर्धा का फुल टैंक लेवल 675.400 एमसीएम है, जो वर्तमान समय में टैंक का लेवल 671.60 एमसीएम बताया जा रहा है जो की फुल टैंक की तुलना में 71.12 प्रतिशत है। इसी प्रकार निरगुड का फुल टैंक लेवल 600.50 एमसीएम है जबकि वर्तमान में 573.20 ही भर पाया है जो कि टैंक क्षमता की तुलना में 58.4 2 प्रतिशत होता है। इसके अलावा आधा दर्जन लघु सिंचाई परियोजनाएं चौथिया, कपासिया, खड़ाआमला, पिपरिया, छिंदखेड़ा और सांईखेड़ा, सोंडिया मे दूसरी लघु सिंचाई परियोजना की तुलना में जल आवक कम हुई है किंतु यहां भी 58 से 80 प्रतिशत जल आवक हो चुकी है। इसके अलावा लगभग 88 लघु सिंचाई परियोजनाओं में से 80 लघु सिंचाई परियोजनाएं फुल टैंक होकर वेस्ट वेयर बह रहे है।
जिले में अब तक बारिश की स्थिति…
ब्लॉक बारिश
- बैतूल 734.6
- घोड़ाडोंगरी 1185.0
- चिचोली 1073.4
- शाहपुर 987.6
- मुलताई 964.7
- प्रभातपट्टन 932.5
- आमला 805.0
- भैंसदेही 950.2
- आठनेर 749.2
- भीमपुर 1462.0
औसत 984.1
इनका कहना..
जिन जलाशयों में 30 प्रतिशत से कम पानी है, वहां सिंचाई के लिए पानी देने का निर्णय आगामी दिनों में जल उपभोक्ता संस्था (डब्ल्यू.यू.ए.) की बैठक में लिया जाएगा। जिसमें नहर को कब चालू करने का निर्णय तथा कितना पानी स्टोर करना है और कितना देना है, यह निर्णय किया जाएगा। ट्रिपल-आर योजना अंतर्गत जिले में 52 करोड़ रुपए का प्रपोजल बनाया गया है, जिसमें बैतूल डिवीजन की नहरों के शुद्धिकरण एवं मरम्मत के लिए 38 करोड़ रुपए का प्रपोजल राज्य शासन को भेजा गया है।
रोशन कुमार सिंह, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग बैतूल
मुलताई सिंचाई डिवीजन में चंद सिंचाई परियोजनाओं को छोड़ दिया जाए, तो क्षेत्र की सभी 92 मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं मे पर्याप्त जल आवक हो गई है। हमारा प्रयास यह है कि इसका अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके। ट्रिपल-आर योजना के अंतर्गत क्षेत्र की 12 नहरो के प्रपोजल भी राज्य शासन को भेजे गए हैं।
सीएल मरकाम, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग मुलताई
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