घटिया मटेरियल से हो रहा है 1 करोड़ 7 लाख रुपये के नपा भवन का निर्माण

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कंक्रीट की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल,पांच मजदूर कर रहे करोड़ों का कार्य,कंक्रीट में हो रहा है बजरी और डस्ट का उपयोग,

मुलताई। नगर पालिका कार्यालय के ठीक बाजू में 1 करोड़ 7 लाख रुपये की लागत से बन रहे नवनिर्मित नगर पालिका भवन में नियमों को ताक पर रखकर घटिया निर्माण एवं निम्न स्तरीय सामग्री के उपयोग को लेकर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं। किंतु इसके बावजूद भी निर्माण प्रक्रिया में सुधार नहीं हो पा रहा है।  पिछले दिनों पार्षदों ने भी सर्फेस भरण में मुरम के बजाय मिट्टी और मलबा भरे जाने की शिकायत की थी, किंतु कोई नतीजा नहीं निकला।

जिसके चलते करोड़ों रुपये की लागत से बन रहे नगर पालिका भवन के भविष्य पर अभी से प्रश्नचिन्ह लग गए हैं। जानकार बताते हैं कि ठेकेदार द्वारा निर्माण में जमकर नियमों की अनदेखी की जा रही है और रोचक तथ्य यह है कि यह सब उस स्थान पर हो रहा है, जहां नगर पालिका से जुड़े सभी जनप्रतिनिधि लगभग प्रतिदिन कार्यालय आते हैं और अधिकारी-कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं। फिर भी कोई ठेकेदार से यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाता कि जो कंक्रीट बनाया जा रहा है उसके क्यूब भरे जा रहे हैं या नहीं। भुगतान के लिए लगाई जा रही सामग्री जांच रिपोर्ट कहां से आ रही है। कंक्रीट में मिट्टी युक्त बजरी का उपयोग क्यों हो रहा है और यह किस साइज की है।

घटिया निर्माण की जानकारी मिलते ही जब हम नगर पालिका नवनिर्मित भवन स्थल पहुंचे तो जो देखा वह चौंकाने वाला था। करोड़ों रुपये के कार्य का ठेका जिस ठेकेदार को दिया गया है, उसने भी कार्य पेटी कांट्रेक्ट पर किसी और को दे दिया है। वहाँ मात्र पांच मजदूर और एक छोटी सी मिक्सर मशीन के भरोसे भवन के पिलर भरे जा रहे हैं।
कंक्रीट मिक्सर में बजरी, डस्ट जिसमें मिट्टी मिली है, उसका उपयोग किया जा रहा है। गिट्टी का कोई मानक साइज नहीं है। डस्ट बजरी और बारीक गिट्टी के साथ बहुत कम मात्रा में सीमेंट डाला जा रहा है। कंक्रीट में इतना अधिक पानी है कि मसाला गीली मिट्टी की तरह फैल रहा है, जबकि पिलर किसी भी निर्माण का महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जिनमें सॉलिड कंक्रीट व वाइब्रेटर का उपयोग आवश्यक है। यहां वाइब्रेटर का उपयोग नहीं किया जा रहा। पांच मजदूर मसाला बनाते हैं, मशीन में मटेरियल डालते हैं और पूर्व में बने पिलर की सेंट्रिंग हटाते हैं। मसाला कई घंटे रखने के बाद उपयोग किया जा रहा है जिससे कंक्रीट सॉलिड हो जाती है। इस संबंध में जब शिकायत नगर पालिका उपयंत्री महेश शर्मा से की गई तो उन्होंने कार्यस्थल पर मौजूद ठेकेदार के लोगों को वाइब्रेटर लगाने, बजरी-डस्ट का कंक्रीट में उपयोग न करने और कंक्रीट क्यूब भरने के निर्देश दिए।

बीते दो दशक से मुलताई नगर पालिका कार्यालय खस्ताहाल भवन में संचालित हो रहा था। काफी प्रयासों के बाद विधायक चंद्रशेखर देशमुख के प्रयास से 1 करोड़ 7 लाख रुपये की लागत से भवन निर्माण को स्वीकृति मिली। निर्माण का ठेका तनुष्का कंस्ट्रक्शन भोपाल को मिला। जानकारी के अनुसार यह वही ठेकेदार है जिसने पहले 10 करोड़ की लागत से सड़क और नालियों का निर्माण किया था, जो एक वर्ष बाद ही टूटना शुरू हो गए थे। आज तो उनके अवशेष भी ढूंढना मुश्किल है। लोगों का मानना है कि ठेकेदार को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, इसलिए निर्माण में सुधार संभव नहीं हो सकेगा। उत्साह अब आक्रोश में बदलने लगा है। निर्माण ठेका प्रक्रिया की जांच की मांग भी उठ रही है।

इनका कहना है
हमने ठेकेदार के लोगों को कार्य में सुधार करने, कंक्रीट में बारीक बजरी का उपयोग न करने, पिलर भराई में वाइब्रेटर का उपयोग करने और बनाए गए कंक्रीट के क्यूब भरने के निर्देश दिए हैं।
महेश शर्मा, उपयंत्री नगर पालिका, मुलताई


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