कुकरू ईको टूरिज्म से बैतूल जिले में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, ईको टूरिज्म स्थल का वन विभाग ने किया जीर्णोद्धार,

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जिले के ईको टूरिज्म कुकरू-खामला को विकसित करने के लिए वन विभाग द्वारा जीर्णोद्धार किया है। इसके अलावा पर्यटन एवं वन संरक्षण जागरूकता के लिए आज शनिवार 27 जुलाई की सुबह 11 बजे बाइक रैली भी निकाली गई, जो बैतूल से 90 किमी दूर कुकरू तक निकली। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दक्षिण वन मंडल के डीएफओ विजयानन्तम टी.आर. एवं समाजसेवी रामकृष्ण तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पप्पी शुक्ला ने हरी झंडी दिखाकर बाइकर्स को रवाना किया।

  इस अवसर पर डीएफओ विजयानन्तम टी.आर. ने बताया कि कुकरू में ईको टूरिज्म स्थल का जीर्णोद्धार किया है। इसमें पर्यटकों के लिए कई नई सुविधाएं भी उपलब्ध कराई है। वन विभाग के इन प्रयासों से कुकरू में पर्यटन एवं वन संरक्षण जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा तथा यह स्थल पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनेगा और बैतूल जिले को पर्यटन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचायेगा।

— प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है कुकरू–
सतपुड़ा की वादियों में बसा कुकरू, बैतूल जिले से मात्र 90 कि.मी. दूर है। 1137 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान प्रकृति प्रेमियों, एडवेंचर प्रेमियों और सुकून के पल बिताने वालों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभर रहा है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य, ग्रामीण संस्कृति और अद्वितीय अनुभवों का आनंद लेने के लिए यह स्थान अब और भी सुविधाजनक बना दिया गया है।

पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ईको टूरिज्म स्थल पर कैंटीन की व्यवस्था की गई है, जहां पर्यटक स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते है। रात्रि विश्राम हेतु रहने के लिए बिजली की व्यवस्था की गई है। कैम्पस में मचान बनाए गये है। सोलर लाइट लगाए गए है। पर्यटकों की सुविधा के लिए सिग्नल बूस्टर लगाए गये है, ताकि पर्यटक अपने परिवारजनों से बात कर सकें। जंगल सफारी गाड़ी की व्यवस्था की गई है, जिसमें पर्यटक परिवार के साथ पवन चक्की, लोकलदरी एवं कुकरू विलेज, लेडी फ्लोरेंस का पूर्व निवास एवं जंगल का आनंद ले सकते है। स्थानीय जनजाति द्वारा पर्यटकों के कहने पर कोरकू नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। कैंपस में चिल्ड्रन प्ले एरिया विकसित किया गया है, जिसमें बच्चों के मनोरंजन हेतु विभिन्न प्रकार के झूले व अन्य मनोरंजक उपकरण स्थापित किये गये है। पर्यटन स्थल पर काफी गार्डन नेचर ट्रेल एवं साइकिलिंग ट्रैक विकसित किया गया है, जहां नेचर ट्रेल, माउनटेन साइकिलिंग, हॉर्स राइडिंग का मजा ले सकते है। प्राकृतिक सौंदर्य, कॉफी बागान, ग्रामीण संस्कृति, कुकरू जनजाति लोकनृत्य एवं सीपना नदी उद्गम स्थल देख सकते है।


  • कॉफी बागान : मध्यप्रदेश का इकलौता कॉफी बागान वन विश्राम गृह, कुकरू से लगा हुआ है। वर्तमान स्थिति में कॉफी बागान 44 हेक्टेयर में फैला हुआ है। कॉफी बागान एवं आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों के दर्शन होते है।
  • भोण्डिया कुण्ड दर्शन/सिपना दर्शन: यह पॉइंट सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के मध्य बसा हुआ वनग्राम भोंडियाकुण्ड दर्शन स्थल के साथ-साथ महाराष्ट्र प्रांत के मेलघाट टाइगर रिजर्व की जीवनदायिनी सिपना नदी का उद्गम स्थल है इस बिंदु से सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की मनभावन सात पर्वत श्रेणियां दृष्टिगोचर होती है।
  • बुच पॉईंट : यह पॉइंट सतपुड़ा की वादियों में स्थित सूर्योदय दर्शन का अत्यंत रमणीय बिन्दु है। प्राकृतिक सौंदर्य यहां से देखते ही बनता है।
  • सूर्यास्त पॉइंट : यह पॉइंट म.प्र. एवं महाराष्ट्र प्रांत की सीमा रेखा के निकट सतपुड़ा की सुंदर पहाड़ियों के विहंगम दृश्य के मध्य सूर्यास्त दर्शन का रमणीय स्थान है। मिस फ्लोरेंस हेंड्रिक्स हेरिटेज / आश्रम, यह पाईंट ब्रिटिश महिला मिस फ्लोरेंस हेंड्रिक्स का पूर्व निवास, जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में इस स्थान पर घने जंगलों के मध्य वे अकेली निवास करती थीं।
  • सांस्कृतिक नृत्य : ईको पर्यटन केन्द्र कुकरू में स्थानीय आदिवासियों के द्वारा लोकनृत्य का आयोजन किया जाता है।
  • बैलगाड़ी सवारी : ईको पर्यटन केन्द्र कुकरू में स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बैलगाडी सवारी का आयोजन किया जाता है।
  • साइकिल पथ (साइकिलिंग): ईको पर्यटन केंद्र कुकरू से भोंडियाकुण्ड तथा अन्य दर्शनीय स्थलों पर साइकिलिंग की सुविधा उपलब्ध है।

मनोरंजन की भी है सुविधा–
स्थानीय जनजाति द्वारा पर्यटकों के कहने पर कोरकू नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। कैंपस में चिल्ड्रन प्ले एरिया विकसित किया गया है, जिसमें बच्चों के मनोरंजन हेतु विभिन्न प्रकार के झूले व अन्य मनोरंजक उपकरण स्थापित किये गये है। पर्यटन स्थल पर काफी गार्डन नेचर ट्रेल एवं साइकलिंग ट्रैक विकसित किया गया है, जहां नेचर ट्रेल, माउनटेन साइकिलिंग, हॉर्स राइडिंग का मजा ले सकते है।  मध्यप्रदेश का इकलौता कॉफी बागान वन विश्राम गृह कुकरू से लगा हुआ है। वर्तमान स्थिति में यह कॉफी बागान 44 हेक्टेयर में. फैला हुआ है। कॉफी बागान एवं आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों के दर्शन होते है। प्राकृतिक सौंदर्य, सनराइज, सनसेट के अलावा ग्रामीण संस्कृति, कुकरू जनजाति लोकनृत्य एवं सीपना नदी उद्गम स्थल को पर्यटक आसानी से देख सकते है। घने जंगलों के मध्य सायकल पथ ईको पर्यटन केंद्र कुकरू से भोडिया कुण्ड तथा अन्य दर्शनीय स्थलों पर साइकिलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।

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