किसानों की विभिन्न समस्या को लेकर किसान सत्याग्रह ,सोयाबीन धान मक्का गेहूं का समर्थन मूल्य घोषित ह़ो,

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अतिवृष्टि  और जानवरों से नष्ट हुई फसलों का सर्वे कराकर राजस्व मुआवजा और फसल बीमा का भुगतान करने, बन्द मंडियों को शुरू करने आदि मांगों को लेकर किसान सत्याग्रह शुरू किया गया। किसान सत्याग्रह में पहुंचे विभिन्न ग्रामों के किसानों ने कहा कि 10 साल पहले के भाव पर सोयाबीन की खरीद हो रही है जबकि खाद, बीज, कीटनाशक, डीजल और मजदूरी दोगुनी हो गई है। किसानों ने कहा कि अतिवृष्टि से सोयाबीन की फसल  खराब हो गई है ,

फलियां बहुत ही कम लगी है जिससे लागत भी नही निकल पा रही है। क्षेत्र में अतिवृष्टि से सब्जी की फसल भी पूरी तरह खराब हो गई है। डॉ सुनीलम ने कहा कि प्रदेश में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने जब से सोयाबीन के दाम बढ़ाने का आंदोलन शुरू किया है तब से सोयाबीन के भाव में 400-500 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। सरकार को भी 40 साल बाद एम एस पी देने का खयाल आया है लेकिन किसानों के उत्पादन का केवल 40% ही खरीदना सरकार का अपराधपूर्ण फैसला है। सरकार को किसानों के द्वारा पैदा किए गए अनाज का एक एक दाना खरीदना चाहिए। एड आराधना भार्गव ने कहा कि सरकारें पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है। किसानों की आत्महत्याएं लगातार बढ़ रही है क्योंकि सरकार ने किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने की नीतियों को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू नही किया गया।

किसान सत्याग्रह में रग्घू कोड़ले, शिवलू पटेल, बिनोदी महाजन, डखरू महाजन, सीताराम नरवरे, अनिल सोनी, दिलवर सिंह, मुकेश सिंह, दुरवन सिंह , शिवदयाल बनखेड़े, डॉ चंद्रशेखर नागले, भरत चौरे, बाबूलाल हारोड़े, लक्ष्मण परिहार मूलचंद सोनी, तीरथ सिंह, सुदामा सिंह, लखनसिंह, दीपक पवार, कैलाश सिंह,चैन सिंह, संतोष सिंह,मलखान सिंह,गोलू सिंह, जीवन सिंह, रघुवीर सिंह, मारोती खौसे, मोतीराम चौहान, हुकुमचंद हारोड़े, शत्रुघन यादव, भागवत परिहार सहित सैकड़ों किसान शामिल हु

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