मुलताई- कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश हो और इरादों में जान तो विकलांगता भी सफलता के मार्ग की बाधा नहीं बन सकती यह सिद्ध किया है न्यू कार्मल कान्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल की कक्षा बारहवीं की विकलांग छात्रा स्वलेहा क्युम चौहान ने की।
स्वालेहा ने प्रथम प्रयास में NEET परीक्षा में विकलांग कोटे से 1512वी रैंकिंग प्राप्त की है। कक्षा 12वीं में भी छात्रा ने एमपी बोर्ड से अंग्रेजी माध्यम से 74 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। नेशनल रैंकिंग के आधार पर स्वालेहा का एडमिशन मध्य प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालय (खंडवा) में एडमिशन हुआ है जहां वह MBBS पढ़ाई पूर्ण करेंगी। गौरतलब है कि वर्ष 2023 NEET परीक्षा में संपूर्ण देश से 20 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया था।

MBBS-MD करने के बाद IAS बनना चाहती है स्वलेहा-
स्वालेहा से हम इंडिया न्यूज के द्वारा प्रश्न पुछा गया- कक्षा बारहवीं और नीट परीक्षा की तैयारी एक साथ करने का लक्ष्य छात्रा के लिए कितना कठिन था। जवाब में वह कहती है मेरा दाया हाथ विकलांग है और उसमें सूजन आ जाती है। मेरे लिए यह लक्ष्य दूसरों की तुलना में बहुत कठिन था किंतु मैं पूरी तरीके से आश्वस्त थी दोनों परीक्षाओं की तैयारी के दौरान 8 माह में मैंने कभी मोबाइल को हाथ नहीं लगाया 16 घंटे पढ़ाई की, वहीं नायर सर की प्रेरणा ने कभी मुझे हतोत्साहित नहीं होने दिया और मैं एमबीबीएस एमडी करने के बाद आईएएस बनना चाहती हूं।

स्कूल में जश्न का माहौल सहपाठियों ने पूछे अनेक सवाल-
शासकीय मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बाद अपने स्कूल न्यू कार्मल कान्वेंट पहुंची स्वालेहा का संचालक अनीश नायर, प्राचार्य वनीता नायर, शिक्षक-शिक्षिकाओं और सहपाठी छात्र-छात्राओं ने भव्य स्वागत किया। संपूर्ण स्कूल में जश्न का माहौल था, इस अवसर पर शाला संचालक अनीश नायर ने कहा कि वर्तमान शिक्षा विद्यार्थियों को किताबों के बोझ की निचे दबा रही है उनका सर्वांगीण विकास नहीं कर पा रही। शालाओं में बच्चों की योग्यता की पहचान कर उन्हें प्रेरित करने की आवश्यकता है तभी प्रतिभाएं निखर पाएगी। सहपाठी विद्यार्थियों के लिए मिसाल बनी स्वालेहा से छात्र-छात्राओं ने अनेक प्रश्नों के उत्तर भी दिए।

स्वालेहा को लोग कहते थे लड़की है हाथ से विकलांग क्या कर पाएगी-
स्वालेहा एक साधारण से परिवार की बेटी है। उसकी बड़ी बहन आमना चौहान बताती है कि स्वालेहा का दाया हाथ घूम नहीं पाता, लोग उसे देख कर कहते थे कि एक तो लड़की है ऊपर से विकलांग क्या कर पाएगी। फिर भी इन तानो से वह कभी हतोत्साहित नहीं हुई उसने इसे चुनौती के रूप में लिया और धैर्य से अपने लक्ष्य की तैयारी में जुटी रही। जिसके चलते आज उसको यह सफलता मिली है।
