मुलताई- क्षेत्र के ग्राम पारड़सिंगा में दुर्लभ प्रजाति का स्तनधारी वन्य जीव पैंगोलिन मिला है, दिखने में छोटे डायनासोर जैसा लगने वाला यह प्राणी विचित्र दिखाई देता है और किसी भी संकट का आभास होने पर अपने आप को बॉल में तब्दील कर लेता है।
गोल आकार लेने पर इस का खोल इतना कठोर और मजबूत होता है कि इसे कोई भी शक्तिशाली जानवर नुकसान नहीं पहुंचा सकता। बीती रात ग्राम पारड़सिंगा के ग्रामीणो ने सर्पमित्र एवं शिक्षक मोनू तायवाड़े को विचित्र जीव होने की सूचना दी थी मोनू तायवाड़े ने ग्राम में पहुंचकर तरुण भिकोड़े के मकान से पैंगोलिन को पकड़ा और जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी।

सुबह वन विभाग के हवाले कर दिया। वन परिक्षेत्र अधिकारी नितिन पवार ने बताया कि दक्षिण वन मंडल के मुलताई क्षेत्र के ग्राम पारड़सींगा के खेत से लगे मकान में मिले पैंगोलिन का स्वास्थ्य परीक्षण कराकर वन कर्मियों की मदद से पैंगोलिन को क्षेत्र से लगे जंगल में छोड़ दिया गया है। पैंगोलिन प्रजाति वन्यजीव अधिनियम 1972 की अंकसूची 1 में शामिल है। पर्यावरण की दृष्टि से इसकी महत्ता बहुत अधिक है।

प्रतिवर्ष 70से 80 मिलियन चींटी, दीमक, किट, पतंगो को खाता है-
पैंगोलिन को पकड़ने वाले मोनू ताएवाड़े, बताते हैं कि यह पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए बहुत अच्छा कार्य करता है। यह प्रतिवर्ष 70 से 80 मिलियन चींटी, किट और दिमग को खाता है। इसका आवरण बहुत सख्त होता है जो जीव की सुरक्षा मे उपयोग होता है। इससे बुलेट प्रूफ बनाने के भी काम में आता है।

इससे पहले भी मिले हैं दो टैग ओलियन-
मुलताई क्षेत्र में इससे पहले भी दो बार इंडियन पैंगोलिन मिले है। इसका अभिप्राय है क्षेत्र में इनके और संख्या होने की संभावनाएं हैं जिसे देखते हुए तेजी से लुप्त हो रहे इस जीव की सुरक्षा के लिए ठोस उपाय किए जाने चाहिए । महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में इस स्तनधारी दुर्लभ वन्य जीव के संरक्षण के लिए एक अध्ययन समूह का गठन किया है।

इनका कहना-
ग्राम में मिले दुर्लभ स्तनधारी जीव पैंगोलिन का स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया गया है।
नितिन पवार, वन परिक्षेत्र अधिकारी