अब सड़कों पर नहीं चलेंगी 15 साल पुरानी यात्री बसें,कबाड़ हो चुकी बसों से मिलेगी राहत

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परिवहन विभाग का मुख्य उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और खराब हालत वाली पुरानी बसों को सड़कों से हटाना है। हालांकि, इस आदेश का जमीनी स्तर पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन यदि बैतूल जिले में नियमों का कड़ाई से पालन किया गया तो बैतूल और मुलताई तहसील के यात्रियों को बड़ी राहत मिल सकती है।
अंतरराज्यीय नियमों का भी हो रहा उल्लंघन गौरतलब है कि बैतूल जिले की कई पुरानी यात्री बसें न केवल जिले के भीतर, बल्कि अंतरराज्यीय मार्गों पर भी संचालित हो रही हैं। जबकि अंतरराज्यीय परिवहन नियमों के अनुसार 10 वर्ष से अधिक पुरानी यात्री बसों को संचालन की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद बैतूल जिले में 20 वर्ष से अधिक पुरानी बसें मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा में बेधड़क दौड़ती नजर आती हैं।


इस आदेश के पालन में परिवहन विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए इंदौर संभाग में 15 वर्ष से अधिक पुरानी कुल 135 बसों के परमिट निरस्त कर दिए हैं। विभाग द्वारा पहले बस मालिकों को नई बसें प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अनुपालन न होने पर यह कार्रवाई की गई। शेष बसों के खिलाफ भी कार्रवाई जारी है। मोटर व्हीकल एक्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का होगा पालन

यह नियम नया नहीं है। यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक परिवहन सेवा देने के लिए मध्य प्रदेश मोटर व्हीकल एक्ट और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में कई बार आदेश जारी किए जा चुके हैं।
M.P. Motor Vehicles Rules, 1994 के Rule-77 के अनुसार— “कोई भी स्टेज कैरिज परमिट ऐसे वाहन को नहीं दिया जाएगा, जिसने निर्माण वर्ष से 15 वर्ष पूरे कर लिए हों। अंतरराज्यीय मार्ग पर 10 वर्ष से अधिक पुराना वाहन परमिट का पात्र नहीं होगा।” हाईकोर्ट के आदेशों में भी स्पष्ट किया गया है कि— “Rule-77 (1-a)(iii) के तहत निर्माण वर्ष से 15 वर्ष पूर्ण कर चुके वाहन को किसी भी मार्ग पर स्टेज कैरिज परमिट नहीं दिया जा सकता।”

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