मुलताई :- पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली देश की सबसे लंबी नदियों में से एक ताप्ती नदी का अपना धार्मिक एवं पौराणिक महत्व रहा है । ताप्ती को आदि गंगा भी कहा जाता है पुराणों में ताप्ती तट पर जप तप एवं पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है
यही कारण है कि पितृपक्ष के महीने में दूर-दूर से लोग ताप्ती तट पर आकर अपने पितरों का तर्पण करते हैं और मान्यता अनुसार अपने पितरों को मोक्ष दिलाते है । पितृपक्ष पर तर्पण के लिए ताप्ती तट पहुंचने वालों को पंडित गणेश त्रिवेदी वर्षों से निशुल्क तर्पण कराते हैं । निशुल्क तर्पण का प्रारंभ गणेश त्रिवेदी के पिता दुर्गा शंकर त्रिवेदी ने लगभग 35 वर्ष पूर्व किया था जिसके बाद उनके पुत्र गणेश त्रिवेदी यह विधि एवं परंपरा को को आगे बढ़ा रहे हैं । ताप्ती की तरह ही ताप्ती जल में भी अनेक गुण पाए जाते हैं जो किसी अन्य नदियों में नहीं पाए जाते ताप्ती जल मे बाल और हड्डियां तक गल जाती है इसके वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं किंतु लोग इसे ताप्ती की महिमा के रूप में देखते हैं ।
पितृपक्ष मास में सूरज की पहली किरण के साथ ही सैकड़ो की संख्या में ताप्ती तट पर तर्पण करते लोग और पंडितों द्वारा मंत्र जाप की ध्वनि एक अलग ही मनोहारी धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण निर्मित कर देती है। पंडित गणेश त्रिवेदी बताते हैं कि सूर्यपुत्री आदि गंगा मां ताप्ती तट पर तर्पण एवं पिंडदान का अपना धार्मिक महत्व है। पुराणों में आता है कि ताप्ती तट पर अनेक ऋषि मुनि एवं देवी देवताओं ने भी अपने पितरों का तर्पण पिंडदान कर मोक्ष प्रदान कराया है । हम लगभग 35 वर्षों से ताप्ती तट पर निशुल्क तर्पण की विधि कराते हैं मुझसे पहले मेरे पिता पंडित दुर्गा शंकर त्रिवेदी ने यह परंपरा प्रारंभ की थी ।
पितृपक्ष मास में ताप्ती तट पर देश के लिए शहीद होने वाले जवानों, मित्रों, शत्रु सहित पशु ,पक्षी, गाय आदि के लिए भी तर्पण करते हैं। ताकि पित्र तृप्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सके और हमें सुख समृद्धि का आशीष दे । पंडित त्रिवेदी कहते हैं कि मां ताप्ती के इस पावन तट पर प्रतिवर्ष लगभग हजारों लाखों लोग यहां पहुंचते हैं भक्त लोग पहुंचकर अपने माता, पिता ,दादा परदादा सब का नियमित रूप से यहां पर तर्पण करते हैं और पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। भक्तगण अपने माता-पिता और जितने भी पूर्वज जिनका देहांत हो गया है उनका ताप्ती जल से नियमित तर्पण कर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।


तर्पण समिति कराकती है निशुल्क तर्पण सामग्री उपलब्ध
प्रतिवर्ष पितृपक्ष मास में बड़ी संख्या में लोग भोपाल, पांढुर्णा, छिंदवाड़ा एवं जिले के ग्रामीण अंचलों से अपने पितरों के तर्पण के लिए ताप्ती तट पहुंचते हैं। यहां न सिर्फ निशुल्क तर्पण कराया जाता है बल्कि ताप्ती तर्पण समिति यहां आने वालों को तर्पण सामग्री तिल, जौ, चावल, फूल, दूध कुशा आदि भी निशुल्क उपलब्ध कराती है। पंडित गणेश त्रिवेदी कहते हैं कि जजमान को ताप्ती तट मात्र एक तांबे का लोटा लेकर पहुंचना होता है । इस समिति से जुड़े लोगों में रितेश परिहार, विजय शुक्ला, महेश खत्री, हरीश पटेल, रमेश चंद पांडे, ओमप्रकाश मिश्रा ,नीरज अग्रवाल ,राधेश्याम अग्रवाल प्रमुख है। इसके अलावा तर्पण हेतु बाहर से आने वाले लोगों को सामग्री उपलब्ध कराना कुश की अंगूठियां को बनाकर ताप्ती तर्पण करने वालों को उपलब्ध कराने की सेवा सपन बंगाली ,अरुण पंडाग्रे ,कृष्ण राव गोलू पाटेकर आदि लोग देते हैं।
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