ठेकेदार और अधिकारियों की भेंट चढ़ गई  पारस ढ़ोह सिंचाई परियोजना,

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मुलताई- ताप्ती पर बनी मुलताई क्षेत्र की महत्वाकांक्षी पारस ढ़ोह सिंचाई परियोजना जो 382. 29 करोड़ लागत से बांध कार्य 1 वर्ष में एवं नहर कार्य 3 वर्ष में पूर्ण होना था आज 9 वर्ष पूर्ण होने के बावजूद भी किसानों के खेतों में  पानी नहीं पहुंच सका है

जिसको लेकर क्षेत्र के किसानों में भारी रोष है। पारस ढ़ोह बांध के ठेकेदार एवं अधिकारियों की मिली भगत के चलते यह महत्वाकांक्षी परियोजना बंटाधार योजना बनकर रह गई है। जिसको लेकर हाल ही में स्थानीय भाजपा विधायक चंद्रशेखर देशमुख ने क्षेत्र के किसानों के साथ  सिंचाई अधिकारियों से मिलकर अपना विरोध जताया है। जानकार बताते हैं कि  जो योजना लगभग 3 वर्ष में पूर्ण होकर किसानों के लिए वरदान साबित होना  था ठेकेदारों से मिलकर अधिकारी शासन को गलत जानकारी देकर बगैर पेनल्टी के ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए बांध निर्माण की समय सीमा बढ़ा रहे थे और यहां तक की  समय सीमा बढ़ाने को लेकर विधानसभा तक में गलत जानकारी दे रहे थे।

 क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होकर ठेकेदार और अधिकारियों पर कार्रवाई हो पाएगी। और यह स्थिति मात्रा  पारस ढ़ोह सिंचाई परियोजना की नहीं है बल्कि क्षेत्र की दूसरी बड़ी परियोजना वर्धा भी अधिकारी और ठेकेदारों की मनमानी की भेंट चड़ रही है। वर्धा में भी दशकों से मुलताई सिंचाई विभाग में जमे  एसडीओ कार्य पूर्ण करने के बजाय समय अवधि बढ़ा रहे हैं।

ताप्ती नदी पर पारस ढ़ोह बांध निर्माण की वित्तीय स्वीकृति शासन द्वारा 12 जनवरी 2016 को दी गई थी। सिंचाई अधिकारियों ने 14 जनवरी 2016 को कार्य प्रारंभ होना बताया। बांध निर्माण की समय अवधि एक वर्ष थी जबकी पारस ढ़ोह बांध  7 सितंबर 2018 को पूर्ण होना बताया गया । नहर कार्य को 10 जून 2020 को संपूर्ण संपूर्ण कार्य पूर्ण होने की जानकारी दे दी गई।  इधर विभाग कार्य पूर्ण होने की बात कह रहा है और दूसरी ओर किसान कार्य को अपूर्ण बताकर अपने खेतों में पानी पहुंचने की बाटजोह  रहे हैं।  महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सिंचाई मंत्री तुलसी  सिलावट ने कोरोना काल के कारण बगैर पेनल्टी के समय सीमा बड़ा जाने की जानकारी दी थी यहां उल्लेखनीय है जिस बांध का संपूर्ण कार्य 2019 तक पूर्ण होना था उस कार्य की समय अवधि कोरोना के चलते 2020 मे बढ़ाई गई । भारत में कोरोना का पहला मरीज 30 जनवरी 2020 मिला था और 30 जनवरी  2022 तक 107 बिलियन लोगों को कोरोना टीका लगा चुका था। आज भी पारस जो नहर का कार्य किसानों के अनुसार अपूर्ण है और सिंचाई विभाग कार्य को पूर्ण बताकर अपूर्ण कार्यों का दोष किसानों को  दे रहे हैं।

पारस ढ़ोह  बांध बनेगा तो खेतों में पानी होगा फसल लहलहाएगी बांध तो बना लेकिन किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुचा इसकी पूरी बुराई मुझे झेलना पड़ रहा है। ऐसा लगता है यह योजना क्षेत्र के लिए बेकार हो गई। ठेकेदार कि लापरवाही के कारण इतने किसान परेशान है और इसके लिए विभाग की भी जवाब दारी है। विभाग क्यों सोया रहा अधिकारी क्यों डरते रहे यह उनकी भी जवाबदारी थी।
इनका कहना
मैं मौके पर जाकर देखूंगा अभी मैं किसी को कैसे दोषी नही ठहरा सकता ,सारी लड़ाई खेतों में पानी पहुंचाने की है। मैं जाकर देखूंगा और कागजों पर नहीं मौके पर सुधार के प्रयास करूंगा।
सीएल मरकाम
कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग मुलताई

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