40 लाख की लागत से बना इंडोर  बैडमिंटन हाल बदहाल,

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मुलताई- नगर पालिका लाखों रुपए खर्च कर विकास कार्य कराती है और फिर उसे भूल जाती है नतीजा चंद समय में ही विकास गायब हो जाता है। इन विकास कार्यों के रखरखाव के प्रयास क्यों नहीं होते तो इसका उत्तर है नगर पालिका का सरोकार निर्माण  के भुगतान तक ही सीमित होता है और इसका नतीजा है कि मुलताई नगर में अनेक भवन उपयोग के बगैर ही खंडहरों में बदल गए और हाल ही में इसका दूसरा उदाहरण नगर का एकमात्र इंड़ोर बैडमिंटन स्टेडियम होने जा रहा है।

रखरखाव एवं मेंटेनेंस के अभाव में  40 लाख 40 हजार रुपए की लागत से बना बैडमिंटन हॉल आज बदहाली का शिकार  है। महज कुछ सालों में ही हॉल की हालत ऐसी हो गई है कि स्टेडियम में खिलाड़ियों का खेलना कठिन हो रहा है। अनेक खिलाड़ी अपने पैसों से छोटी-मोटी मरम्मत करा कर इस बैडमिंटन हाल को खेलने लायक बनाते हैं खिलाड़ी बताते हैं कि जिस फ्लोरिंग (मैट/कोर्ट की सतह) पर खिलाड़ी अभ्यास करते हैं,

वह बुरी तरह फट और उखड़ चुकी है। खिलाड़ियों का कहना है कि यह सतह अब खेलने लायक नहीं बची है, मगर कोई देखरेख या मरम्मत की व्यवस्था नहीं है। मजबूरन बच्चे और युवा खिलाड़ी टेप लगाकर जगह-जगह उसे जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अभ्यास जारी रह सके। नगर के एसडीओपी बंगले के पास बने इस हॉल का निर्माण नगर पालिका अध्यक्ष हेमंत शर्मा के कार्यकाल में हुआ था तब इसे नगर के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा था किंतु निर्माण प्रारंभ हुआ तो गुणवत्ता पर सवाल भी उठे किंतु हमेशा की तरह ना तो तब कुछ हो पाया था और ना अब कुछ हो पाएगा और नगर की एक और खेल उपलब्धि समाप्त हो जाएगी।

बैडमिंटन हॉल में जगह-जगह से निकल रहा प्लास्टर, नीचे टूट रहा फर्स और चिथड़ो में तब्दील हो गई मेट की बात तो दूर है नगर पालिका हॉल के भीतर फैली गंदगी हटाकर सफाई करना तक आवश्यक नहीं समझती जिसको लेकर खिलाड़ियों में रोष है।  लाखों रुपए की लागत से बने इस हॉल को नियमित देखरेख नहीं मिलने के कारण यह बर्बादी की कगार पर है। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो यह हॉल भी एक और सरकारी ‘उजड़ा स्मारक’ बनकर रह जाएगा।

इनका कहना

इससे संबंध में अभी कोई शिकायत पत्र प्राप्त नहीं हुआ है फिर भी खिलाड़ियों से चर्चा कर आवश्यक सुधार कार्य जाएंगे।
महेश शर्मा उपयंत्री नगर पालिका मुलताई

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