मुलताई-पवित्र नगरी मे ताप्ती तट पर गायत्री मंदिर में कथावाचक वैष्णवाचार्य डॉ विश्वामित्र शरण गोवर्धन मथुरा द्वारा की जा रही ताप्ती महिमा कथा का आज गुरु जन्म एवं राजतिलक के साथ मां ताप्ती के गुरु वंश की राजमाता बनने की कथा के साथ समापन हो गया।
ताप्ती महिमा कथा प्रचार समिति द्वारा 30 वर्षों से निरंतर ताप्ती तट पर की जा रही ताप्ती कथा के छठवें दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने ताप्ती तक पहुंचे जिसमें महिलाओं की संख्या अत्यधिक दिखाई दी।अवसर पर मा ताप्ती महिमा कथा वाचक वैष्णवाचार्य डॉ विश्वामित्र शरण ने मां ताप्ती के पुत्र कुरु के जन्म की सुंदर कथा सुनाई।

जिसमें उन्होंने बताया कि जब मां ताप्ती का विवाह राजा संवरण के साथ हुआ और पहली बार जब मां ताप्ती अपने ससुराल पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां सूखा पड़ा हुआ है, सुख शांति नहीं है, फसलें सूखी हुई है, बारिश नहीं हो रही है तब बारिश कराने के लिए यज्ञ का आयोजन कराया गया,

जिसके बाद क्षेत्र में खुशहाली, सुख शांति और हरियाली आई और 9 माह बाद ताप्ती पुत्र का जन्म हुआ। जिसका नाम ऋषिओ ने कुरू रखा, उन्होंने बताया कि गुरु का मतलब कर्मशील होता है, और भगवान कुरू ने सबसे पहले धर्म की खेती शुरू की, और पूरा क्षेत्र कुरुक्षेत्र के नाम से जाना जाता है। जिसके बाद मा ताप्ती नारायण की शरण मे चली गयी। इस अवसर पर माँ ताप्ती महिमा कथा प्रचार समिति के लोकेश यादव ,बबलू यादव ,संतोष गुप्ता, राजू देशमुख, राजू पराड़कर, रवि देशमुख आदि ने मा ताप्ती की महिमा कथा के समापन के अवसर पर शिरकत कर कथा का श्रवण करने आए लोगों एवं सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। जिसके उपरांत आरती कर कथा को विराम दिया गया। ताप्ती जन्मोत्सव के दिन रविवार को मां ताप्ती तट के सप्त ऋषि टापू पर हवन के साथ कथा का संपूर्ण समापन होगा।
