बैतूल- विवेकानंद विज्ञान महाविद्यालय बैतूल की बीएससी जूलॉजी चौथे वर्ष की 7 छात्राओं की टीम ने सिकल सेल एनीमिया जैसे गंभीर अनुवांशिक रोग पर तीन माह का गहन शोध (रिसर्च प्रोजेक्ट) पूरा कर समाज और स्वास्थ्य विज्ञान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज कुमार हुरमाड़े ने बताया कि इस रिसर्च प्रोजेक्ट का विषय एडवांस रिसर्च ऑन सिकल सेल एनीमिया था। छात्राओं द्वारा ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सिकल सेल एनीमिया की वास्तविक स्थिति को समझने,

मरीजों के जीवन में आने वाली कठिनाइयों को जानने और इस बीमारी की पहचान, लक्षण, जांच, उपचार और रोकथाम के उपायों का विश्लेषण करने के उद्देश्य से यह रिसर्च की गई। इस रिसर्च के अंतर्गत छात्राओं ने न केवल पुस्तक और दस्तावेजों के माध्यम से अध्ययन किया, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सिकल सेल से पीड़ित मरीजों से प्रत्यक्ष रूप से संवाद भी किया।
उन्होंने मरीजों से बातचीत कर उनकी दैनिक परेशानियाँ, दर्द के दौरे स्कूल और नौकरी में आने वाली समस्याएँ तथा समय पर इलाज न मिलने की वजह से होने वाले संकट को समझा। इस रिसर्च में कुमारी अंजली पवार, कुमारी दीक्षा साहू, कुमारी निकिता साहू, कुमारी रश्मि उइके, कुमारी शिवानी वाधवाने, कुमारी मुस्कान साहू तथा कुमारी प्रिया सम्मिलित रहीं। यह शोध कार्य जिला सिकल सेल नोडल अधिकारी डॉ. अंकिता सिते के मार्गदर्शन और सतत निगरानी में सम्पन्न हुआ। उन्होंने छात्राओं को पाइंट ऑफ केयर टेस्टिंग विधि, स्लाइड तकनीक, परिवार वृक्ष विश्लेषण और आनुवंशिक परामर्श का भी प्रशिक्षण दिया।

इस रिसर्च कार्य में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कृष्णा खसदेव, एचओडी एस.आर. गायकवाड, प्रोफेसर डॉ. उज्जवल पांसे, प्राध्यापिका श्रीमती पिंकी मोटवानी एवं शैलजा परिहार का विशेष योगदान रहा। शोध पूर्ण होने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज हुरमाड़े, सिविल सर्जन डॉ. जगदीश घोरे, और आरएमओ डॉ. रानू वर्मा ने छात्राओं को बधाई दी और कहा कि यह रिसर्च जिले में सिकल सेल के खिलाफ जागरूकता फैलाने और पीड़ितों के जीवन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।

इस अवसर सीएमएचओ डॉ हुरमाड़े ने कहा कि यह रिसर्च छात्राओं के लिए सिर्फ एक अकादमिक अभ्यास नहीं था, बल्कि एक मानवीय अनुभव था, जिसमें उन्होंने महसूस किया कि कैसे यह बीमारी जीवन को सीमित कर देती है। उनका यह अध्ययन आने वाले समय में स्वास्थ्य योजनाओं, सिकल सेल स्क्रीनिंग और रोग नियंत्रण नीतियों में उपयोगी साबित होगा।

