बंटाधार योजना बनकर रह गई है हरदौली जल आवर्धन योजना,बगैर भौतिक सत्यापन के हो गया करोड़ का भुगतान,

0

जब हरदोली से पानी मुलताई आना प्रारंभ हुआ था माना जा रहा था कि अब प्रतिदिन नहीं तो कम से कम एक दिन आड़ में नगर वासियों को पेयजल मिल सकेगा। किंतु अब नगर पालिका का कहना है की अमृत 2.0 योजना के तहत बनाई गई नई 7 करोड़ की योजना के बाद नगर को पानी मिल सकेगा। चौका देने वाला तथ्य यह है की हरदोली योजना के पेयजल घटक के ठेकेदारो को नगर पालिका अब तक करोड़ों रुपए का भुगतान कर चुकी है और अब भी कर रही है किंतु जब यह पूछो कि दोनो ठेकेदारों में से किस कार्य का भुगतान किस ठेकेदार को कितना किया , क्या किए गए कार्य का भौतिक सत्यापन हुआ है।

इस संपूर्ण योजना के रोड मेप की जानकारी किसे है तो सभी का जवाब आता है इसकी जानकारी नहीं है। एक सामान्य व्यक्ति अगर घर के लिए ₹100 का सामान लेता है तो 10 बार जाचता, सोचता ,परखता है किंतु रोचक तथ्य है कि नगर पालिका ने दो ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर डाला और किसी को मालूम ही नहीं है कि जिस पाइपलाइन या जिस सामग्री का भुगतान किया गया है वह कहां है। इन 12 वर्षों में चार परिषद हो गई है हरदौल योजना आज भी बंटाधार योजना बंन कर रह गई है और लोग आज भी पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं।

हरदौली पेयजल घटक में अब तक हुई बंदर बाटऔर नदारत हुई राशि को लेकर अनेक प्रश्न ऐसे हैं जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। काम अधर में है राशि गायब, नगर पालिका भुगतान करते जा रही है उसे यह नहीं मालूम कि किस डिजाइन ड्राइंग पर कार्य हो रहा है। जो कार्य हो रहा है वह गुणवत्ता पूर्ण है अथवा नहीं। माह में एक बार बैतूल से उपयंत्री मुलताई आते हैं ठेकेदार की जानकारी के आधार पर (एमबी) माप पुस्तिका कार्य रिकॉर्ड करके बिल आगे बढ़ा दिया जाता है। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। पहली बार हरदोली पेयजल घटक का ठेका 11 करोड़ का हुआ था यह राशि शासन से नगर पालिका प्राप्त हुई थी। नगर पालिका के सूत्रों का कहना है कि अब तक लगभग 8 करोड़ का भुगतान दोनों ठेकेदारों को मिलाकर कर दिया गया है और अब योजना की राशि समाप्त हो गई है तो बड़ा प्रश्न यह है कि योजना की शेष राशि कहां गई इसकी संपूर्ण जांच की जानी चाहिए।

हमने यह जानने का प्रयास किया की हरदौली पेयजल घटक के दो ठेकेदारों में से मोटा माटी किसने कितना कार्य किया और किसको कितना अनुमानित भुगतान हुआ। हरदौली पेयजल घटक का ठेका आज से 12 वर्ष पूर्व एस के लोखंडे को दिया गया था। योजना की राशि थी लगभग 11 करोड़, लोखंडे ने दो पानी की टंकियों का निर्माण किया, एक हरदौली मार्ग पर और दूसरी सिविल लाइन में ,हरदौली साइट पर फिल्टर प्लांट स्ट्रक्चर निर्माण एवं समवेल निर्माण किया गया, लोखंडे के अनुसार लगभग 25 किलोमीटर की पाइपलाइन डाली गई । इन सब कार्यों का भुगतान लोखंडे को एक अनुमान के आधार पर नगर पालिका द्वारा 3 करोड़ से 4 करोड़ बताया जाता है। किंतु कार्यों का भी भौतिक सत्यापन नहीं किया गया था । लोखंडे का कहना था कि उसे पेयजल घटक का 3 करोड़ का भी भुगतान नहीं किया गया।

तत्कालीन नगर पालिका ने एसके लोखंडे का ठेका निरस्त कर फिर नया टेंडर 4 करोड़ 75 लाख रुपए का ठेका आदि एक्वा कंपनी को दिया । नगर पालिका से मीली जानकारी के अनुसार आदि एक्वा ठेकेदार को अब तक 4 करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है। किंतु जानकारो का मानना है कि लोखंडे की तुलना में इतने कम कार्य का 4 करोड़ भुगतान आम आदमी के गले नहीं उतर रहा है। और इस बार भी वही गलती हो रही है बगैर जांच एवं भौतिक सत्यापन के भुगतान किया जा रहा है।

ठेकेदार ने हरदौली बांध पर इंटेकवेल का निर्माण किया , हरदौली बांध पर 2 लाख की लागत से विद्युत डीपी लगाई। और कहां जा रहा है कि फिल्टर प्लांट की मोटर खरीद कर लगाई गई। 12 किलोमीटर पाइप लाइन का विस्तार किया। अगर दोनों ठेकेदारों के कार्यों की तुलना करें तो यह कार्य कम दिखाई देते हैं किंतु उसके बावजूद भी वर्तमान ठेकेदार को पूर्व ठेकेदार की तुलना में अधिक भुगतान किया गया और आज भी ठेकेदारों को निरंतर भुगतान किया जा रहा है । तो यह प्रश्न उठना वाजिब है कि वर्तमान ठेकेदार को भुगतान क्या अपने ही कार्यों का किया गया अथवा पिछले ठेकेदार के कार्यों का इसकी भी जानकारी किसी के पास में नहीं है । दोनों ठेकेदारों के कार्यों का किए गए भुगतान के आधार पर बहुत टीम बनाकर के भौतिक सत्यापन किया जाना चाहिए और संपूर्ण मामले की जांच और विशेष तौर से दोनों ठेकेदार की डीपीआर और किए गए कार्य का मिलान किया जाना चाहिए ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here