खस्ताहाल घोषित होने के वर्षों बाद भी नहीं निकला 17 दुकानों का हाल,जांच में बास लगने से टूट रही थी छत,

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लेकिन ऐसा होने पर वह राजनीतिक भी दोषी होंगे जो इस दुकान को हटाए जाने में बाधा बनते हैं। जब भी इन 17 दुकानों को हटाए जाने के प्रयास प्रारंभ होते हैं राजनीतिक अंड़गो के चलते यह मामला टल जाता है किंतु जिस प्रकार यह दुकाने ताप्ती सौंदरीकरण की बड़ी समस्या है और जिस रफ्तार से इसका निर्माण क्षतिग्रस्त हो रहा है भविष्य में गंभीर हादसा हो सकता है।

हाल ही में जिला कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने दुकानों को हटाए जाने की सार्थक पहल प्रारंभ की थी और यह माना जा रहा था कि जिला कलेक्टर के प्रयासों से अब इस समस्या का स्थाई हल हो सकेगा किंतु हमेशा की तरह इस बार भी राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव के चलते मामला टल गया।

प्रदेश में जब भी कोई बड़ी दुर्घटना होती है जर्जर हो गई 17 दुकानों की जांच अवश्य होती है बीते 10 सालों में दर्जनों बार दुकानों की जांच हो चुकी है और हर बार इस निर्माण पर चिंता व्यक्त की गई। 17 जुलाई 2021 को नगर पालिका एवं लोक निर्माण की संयुक्त टीम ने इन 17 दुकानों की जांच  की थी। जब अधिकारियों की उपस्थिति में नगर पालिका कर्मचारी इन दुकानों की जांच कर रहे थे तब बास  लगाने से छत टूट रही थी। इस जाच दल में शामिल तत्कालीन लोक निर्माण एसडीओ एके जैन ने  बताया था कि 17 दुकानों की जांच में यह पाया गया है की निर्माण की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है बास लगने से छत टूट रहा है दुकानों के निर्माण में लगा 10 एमएम का लोहा 2  एमएम रह गया है।

ताप्ती सरोवर सरोवर मात्रा न होकर नगर वासियों की आस्था का प्रतीक भी है और नगर की पहचान भी क्योंकि इसे ताप्ती कुंड माना जाता है। जहां से ताप्ती तीन प्रदेशों को सुख और समृद्धि का वरदान देने निकलती है ।यही कारण है कि ताप्ती सौंदर्य करण  की मांग लंबे समय से होती रही है किंतु ताप्ती के नाम पर राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों ने कभी इस पवित्र धाम को व्यवस्थित विकास से जोड़ने का प्रयास नहीं किया। जब भी ताप्ती सौंदर्य की बात आती है 17 दुकान सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आती  है हालांकि जिन लोगों को निर्माण के वक्त यह दुकान आवंटित हुई थी अब इनमें से अधिकांश व्यापारी बदल गए हैं अनेक दुकानें दूसरी ओर शिफ्ट हो गई है अनेक दुकानें किराए से चल रही है दुकानदार भी ताप्ती से आस्था के कारण इसका विरोध नहीं करते हैं किंतु उनका कहना है कि उन्हें दूसरे स्थान पर बसाया जाए व्यापारियों और नगर प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित कर इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।

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