मुलताई- आरक्षण के मामले में आए एक फैसले के विरोध में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विभिन्न संगठनों ने मुलताई तहसील मुख्यालय एवं प्रभात पट्टन मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा।
मुलताई नाका नंबर एक पर अंबेडकर चौक पर राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर फैसले के विरोध में अपना विरोध जताया। इसके साथ ही जनपद कार्यालय प्रभात पट्टन में अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति समाज एवं सामाजिक संगठन द्वारा मुख्य मार्ग पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया गया इसके बाद रैली के शक्ल में सभी आंदोलनकारी जनपद कार्यालय पहुंचे जहां तहसीलदार डाली रैकवार को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौप उक्त फैसले को अनुचित बताते हुए वापस लिए जाने की मांग की। सौपे गए ज्ञापन में कहा गया है
कि अनुसूचित जाति, अनूसूचित जनजाति के संवैधानिक आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायाधीशों की खंडपीठ में 6, 1 से आरक्षण कोटे में कोटा वर्गों के भीतर उप वर्गीकरण करने का फैसला दिया गया था। इसके साथ ही आरक्षण से क्रिमीलियर में आने वाले को आरक्षण से वंचित करने का अधिकार राज्य शासन द्वारा दिये जाने का फैसला लिया गया जिसको एससी एसटी वर्ग के लोगो ने अनुचित और समाज के खिलाफ बताया गया। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संवैधानिक मुलभूत अधिकार के खिलाफ है।
अनुसूचित जाति जनजाति को संवैधानिक मुलभूत अधिकार से वंचित करना, इन सामाजिक समुदाय को आपस में लड़वाना, प्रगति पर ले जाने वाले आरक्षण को समाप्त करना यह खुला षंड्यंत्र है। अनुसूचित जाति जनजाति सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट हैं। जिसके चलते मुलताई और प्रभात पट्टन में जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया। साथ ही ज्ञापन सौप कर मांग की गई कि
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध संसद के दोनो सदनो में लोकसभा और राज्यसभा में विशेष सत्र बुलाकर खुलकर अध्यादेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तत्काल रुप से निरस्त किया जाए, संविधान के संवैधानिक आरक्षण को यथावत रखने की पहल की जाए। अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षण को मुलभूत आरक्षण की 9 सुची में शामिल किया जाये। संवैधानिक न्यायिक आयोग द्वारा न्यायाधिशों की नियुक्ति की जाए। न्यायिक व्यवस्था में एससी, एसटी, ओबीसी का प्रतिनिधित्व दिया जाए।