शुरू होगा नगर की सांस्कृतिक धरोहर कहा जाने वाला ताप्ती मेला,हजारों श्रद्धालु लगाएंगे ताप्ती सरोवर में आस्था की डुबकी

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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर संपूर्ण जिले सहित दूसरे प्रदेशों विशेष तौर से महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां ताप्ती के पवित्र सरोवर में स्नान करने के लिए ताप्ती तट पहुंचते हैं। इस वर्ष गुरुवार शाम से ही ताप्ती स्नान के लिए श्रद्धालुओं का ताप्ती तट पहुंचाना शुरू हो चुका था, सैकड़ो श्रद्धालु देर रात में ही मुलताई पहुंच चुके थे। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर ताप्ती स्नान करने से समस्त कष्टो का निवारण हो जाता है और असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दूर-दूर से लोग मां ताप्ती स्नान एवं दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं

मेले सदियों से हमारी संस्कृति का अंग रहे हैं। ताप्ती मेला भी इनमें से एक है, जिसकी तैयारिया पूर्ण हो गई है और आज से इसका प्रारंभ होगा। ताप्ती मेला अत्यंत प्राचीन मेलों में से एक है, इसका प्रारंभ कब हुआ यह कहना अत्यंत कठिन है, किंतु ताप्ती मेला समाप्ति के बाद ही जिले मे अन्य मेलों का प्रारंभ होता है। तीन दशक पूर्व ताप्ती मेला ताप्ती सरोवर के इर्द गिर्द लगा करता था। फिल्मी टॉकीज, सर्कस, यमपुरी : जैसी करनी वैसी भरनी, छोटे झूले, मनोरंजन का मुख्य आकर्षण हुआ करते थे,

किंतु आबादी क्षेत्र बढ़ता गया और मेला लगभग समाप्त होने को था कि तभी तत्कालीन एसडीएम प्रमोद गुप्ता एवं एसडीओ पुलिस एनपी मिश्रा द्वारा मेले की आधारशिला टॉकीज के पिछले भाग में रखी गई। इसके बाद फिर आबादी ने मेले के वैभव को समाप्त कर दिया था, इसके उपरांत नगर पालिका अध्यक्ष सुप्रिया संजय यादव के प्रयास से इस मेले को व्यापक रूप देने हेतु साप्ताहिक बाजार में ताप्ती मेले की बुनियाद को रखा गया। साप्ताहिक बाजार होने के कारण इसे फिर स्थल परिवर्तन कर सुप्रिया संजय यादव एवं तत्कालीन एसडीएम भरत यादव के प्रयास से इस मेले को वर्तमान राम मंदिर की भूमि पर लगाया गया है। हालांकि इस ताप्ती मेले का वैभव निरंतर बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष करीब 350 से ज्यादा दुकानें मेले में लगती है इस बार करीब 400 से ज्यादा दुकानें लगने की उम्मीद जताई जा रही है।

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