मुलताई – मानवीय रिश्ते बेईमानी होते जा रहे हैं जिन मां-बाप के कदमों में जन्नत होती थी और जिन माता पिता में संपूर्ण ब्रह्मांड समाया होता था आज उन मां-बाप को वृद्ध होने पर बेसहारा सड़कों पर छोड़ा जा रहा है और अब यह घटनाएं आम होती जा रही है। ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है ।
मुलताई निवासी कमला बारंगे पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने जुन्नारदेव दमुआ गई थी और वहां से लौटते हुए हिरदागढ़ में उसकी नजर एक 75 वर्षीय वृद्धा पर पड़ी जो 2 दिनों से भूखी थी और जिसके पास कुछ भी नहीं था वृद्धा ने उसे बताया कि उसके बेटे और बहू ने उसे घर से भगा दिया है

और अब वह घर पर नहीं जाना चाहती सास बहू मारपीट करते हैं अब वह मर जाएगी किंतु घर वापस नहीं जाएगी। कमला बारंगे ने समझा-बुझाकर उस वृद्धा को मुलताई लेआई जहां पत्रकारों की मदद से वृद्धा को वृद्ध आश्रम मेरा खा गया है।

जमदेही की रहने वाली है कला बाई
मुलताई कमला बारंगे के प्रयासों से खाना-वाना खाने के बाद अपने हवास मे आई वृद्धा ने अपनी जो कहानी बताएं बहुत ही दर्दनाक है उसने बताया कि मेरा नाम कला बाई पती टूटू लोमार निवासी जमदेही बेहड़ी है। पति का देहांत हो गया और मैं गांव में ही बहु बेटा के साथ रहती थी इस गांव में दूसरे मोहल्ले में मेरी बेटी भी रहती है ।

बेटा बहू मुझसे मारपीट करते हैं और उनसे मेरी जान को खतरा है एक दिन मेरा सब कुछ छीन कर मुझे घर से भगा दिया। उक्त वृद्धा के पास पहने कपड़े के अलावा कोई कपड़े भी नहीं थे कमलाबाई ने उसे कपड़े भी दिए। कमला बारंगे एक अनजान महिला जो वृद्धा को वहां से लाकर सेवा करती है वृद्धा आश्रम पहुंचाती है और मां बेटी का एक नया रिश्ता कायम करती है। और दूसरी और एक वह परिवार है जो अपनी बुनियाद रही अपनी मां को सड़क पर बेसहारा छोड़ देती है बदलते वक्त के यह दो उदाहरण है।
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