बहनों से मिला सम्मान तो गदगद हुए फौजी भाई,माथे पर लगाया तिलक, वर्दी पर सजाया तिरंगा बैज

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बैतूल। देश की अंतराष्ट्रीय सरहदों से बैतूल का कच्चें धागों का पक्का नाता है। 23 वर्षों से बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति का राष्ट्र रक्षा मिशन देश की सीमाओं पर तैनात फौजियों की हौसला अफजाई कर रहा है।

इसके अलावा जिले में जब कभी सेना की विभिन्न बटालियन का आगमन हुआ तो जवानों के सम्मान में भी राष्ट्र रक्षा मिशन अग्रणी भूमिका में रहा है। सोमवार को सेना के 30 अधिकारी और जवान 500 किमी की दूरी तय कर साईकिल यात्रा लेकर बैतूल पहुंचे। युवाओं को अग्रिवीर योजना के संबंध में जानकारी देने, उन्हें पे्ररित करने एवं चयन के लिए मापदंडों की जानकारी सेना के अधिकारियों द्वारा दी गई।

विश्वकर्मा मंदिर में कुछ देर विराम के दौरान राष्ट्र रक्षा मिशन के दल ने सभी सैन्य अधिकारियों का सम्मान किया। देश की अंतराष्ट्रीय सरहदों पर हर साल पहुंचने वाली इन सरहदी बहनों की फौजियों ने मुक्त कंठ से सराहना की। समिति अध्यक्ष गौरी बालापुरे पदम, कोषाध्यक्ष जमुना पंडाग्रे, सचिव भारत पदम, वरिष्ठ सदस्य सुमीत नागले ने तहसीलदार प्रभात मिश्रा की मौजूदगी में सैन्य अधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया। गौरतलब है सेना के इस दल में वे जवान भी शामिल थे जिन्होंने सुखतवा पुल महज 36 घंटे में तैयार कर दिया था। सम्मान कार्यक्रम में विश्वकर्मा समाज सेवा समिति के गणेश प्रसाद मालवी, शोहेब भाई सहित अन्य लोग मौजूद थे।

दीपावली, भाईदूज के लिए दी शुभकामनाएं

संस्था अध्यक्ष श्रीमती पदम ने बताया कि सेना का यह कारवां बैतूल में रात्रि विश्राम करने वाला था, लेकिन अचानक हेड क्वार्टर से निर्देश मिलने के बाद शाम 4.30 बजे बैतूल से इटारसी के लिए उन्हें रवानगी लेनी पड़ी। इसके पूर्व विश्वकर्मा मंदिर पहुंचकर बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के दल ने सैन्य अधिकारी अर्जुन पाटिल से आग्रह कर त्वरित रुप से सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया। भाईदूज के कुछ दिन पहले सेना के जवान बैतूल से रवाना हो रहे थे,

इसलिए समिति के दल ने सभी को तिलक लगाकर, तिरंगे का बैज भेंटकर दीपावली, भाईदूज की शुभकामनाएं दी। बैतूल की सरहदी बहनों से सम्मान पाकर कुछ सैनिक भावुक भी हो गए। इस दौरान सेना के प्रति समर्पण और अपना त्योहार देश की सरहदों पर मनाने की परम्परा की पूरे सैन्य दल ने सराहना की। विश्वकर्मा समाज समिति के प्रमुख बलवीर मालवीय के सहयोग के लिये बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति ने आभार माना।

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