मुलताई -हरदौली बांध की पाइपलाइन फूटने के कारण नगर भीषण जल संकट के दौर से गुजर रहा है, पाइपलाइन टूट जाने के कारण नगर के 10 वार्ड में पेयजल आपूर्ति ठप पड़ गई है।
तीसरे दिन भी सुधार कार्य पूर्ण होकर पेयजल आपूर्ति प्रारंभ नहीं हो सकी तो नगर पालिका अध्यक्ष नीतू परमार एवं उपाध्यक्ष शिवकुमार माहोरे सहित पार्षद गण पैदल ही उबड़ खाबड़ कच्चे रास्तों को पार कर पाइप लाइन सुधार स्थल पहुंचे। जिसके बाद तीसरे दिन नगर में पेयजल वितरण प्रणाली सुचारू रूप से प्रारंभ हो चुकी है। पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने से 10 से अधिक वार्डों में बीते 3 दिनों से पेयजल सप्लाई नही हो पाई है।

नगर में बिगड़ती पेयजल वितरण प्रणाली को देखते हुए नपा अध्यक्ष नीतू प्रह्लाद सिंह परमार,उपाध्यक्ष शिवकुमार माहोरे,प्रभारी सीएमओ जी.आर.देशमुख कांग्रेस नेता सुमित शिवहरे,शेख जाकिर ने खेत के उबड़ खाबड़ कच्चे रास्तो को पार कर टूटी हुई पाइपलाइन देखने मौके पर पहुंची और सुधार कार्य का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान हरदौली बांध के मेंटेनेंस का काम देख रहे कर्मचारियों ने बताया कि खेत मालिक ने खेत बनाने के दौरान पाइपलाइन पर जेसीबी चलाई जिसके कारण पाइपलाइन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी।

भोपाल से एमसी कालर जॉइंट बुलवाकर पाइपलाइन जोड़ी जा रही है। प्रभारी, सीएमओ, जीआर देशमुख ने नपा अध्यक्ष को बताया कि पाइपलाइन तोड़ने के कारण खेत मालिक के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। नपा अध्यक्ष ने प्रभारी सीएमओ को तत्काल सुधार कार्य पूर्ण कर नगर की पेयजल व्यवस्था सुचारू करने के निर्देश दिए है। हरदौली जल आवर्धन योजना का कार्य और मेंटेनेंस ठेकेदार को करना है। पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होना या टूटना एक नियमित प्रक्रिया हो सकती है किंतु ठेकेदार द्वारा पाइपलाइन को सुधारने में 3 दिन लगाना और जिससे प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति की जा रही है। उसे सुधार के लिए पर्याप्त सामान की उपलब्धता नहीं होना नगरपालिका के कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है।

जहां तक पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने का प्रश्न है नगर पालिका किसान पर एफ आई आर करने की बात कह रही है। जिसको लेकर किसानों में भी रोष व्याप्त है। किसानों का कहना है कि जनहित में हमने बगैर हमारी स्वीकृति के हमारे खेत में से पेयजल पाइप लाइन डालने दी नगर पालिका से कोई मुआवजा नहीं मांगा उसके बाद हम कृषि कार्य करते हैं और अगर पाइपलाइन को क्षति पहुंचती है तो हम पर एफ आई आर की बात होती है ऐसा होने पर हम न्यायालय के शरण में जाएंगे और पाइपलाइन को खेतों से हटाने की या मुआवजे की मांग करेंगे।
