अजय टावरे
पांढुरना – पांढुरना मे परंपरागत रूप से पोला पर्व के दूसरे दिन आयोजित होने वाले गोटमार मेले में शनिवार को दोनों पक्ष पांढुरना एवं सावरगांव के बीच जमकर पत्थरों की वर्षा हुई जिसमें लगभग 250 से 300 लोग जख्मी हुए एवं आधा दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए
जिन्हें नागपुर उपचार के लिए ले जाया गया है। पांढुरना पक्ष ने शाम होने के पहले ही 3.40 गोटमार का झंडा तोड दिया। गंभीर रूप से घायल होने वालों में निखिल डाबरे पांढुरना के सर पर गंभीर चोट आई है इसके अलावा फकीर सिंह के छाती पर पत्थर लगा है तथा दामू इवनाती बेलगांव भूयारी आंख पर गंभीर चोटें होने के कारण इन्हें नागपुर रिफर किया गया है। देर शाम तक घायलों की संख्या और बढने की बात कही जा रही है क्यों कि समाचार लिखे जाने तक गोटमार पूरी तरह बंद नहीं हुई थी।

गोटमार मेले में सुबह से 1 बजे तक खिलाडियों का उत्साह थोडा कम नजर आया परंतु दोपहर 2 बजे के बाद अचानक दर्शकों एवं खिलाडियों की संख्या में खूब बढोतरी हो गई। पंढरी वार्ड की ओर से गुजरी बाजार की ओर आने वाली सडक, राजीगांधी मार्केट होते हुए छोटी पुलिया से गुजरी की ओर आने वाली सडक तथा श्रीराम मार्केट की ओर से आने वाली सडक दोपहर 2 बजे के बाद बिलकुल खाली नहीं थी। चारों तरफ उत्साह का वातावरण बन गया था।

दोपहर 1 बजे के आस पास तो सावरगांव पक्ष के खिलाडी पथराव करते हुए पांढुरना के भीतर तक घुस आए थे। परंतु जैसे जैसे समय बीतता गया पांढुरना पक्ष का पलडा भारी होता गया। बीच बीच में बैंड वाली मंडली झंडा तोडने के आगे बढे खिलाडियों का उत्साहवर्धन के लिए खूब शोर मचाती रही। इधर गोटमार को लेकर बीते 1 सप्ताह से प्रशासन सतर्क था वही मेला समितियों भी मेले को लेकर व्यापक इंतजाम में जुटी हुई थी ।आज सुबह से ही मारूंगा में जगह-जगह भारी पुलिस बल तैनात किया गया स्वास्थ्य कैंप लगाए गए जहां गोटमार मेले में घायल हुए मरीजों का उपचार किया जा रहा है।

क्या प्रेमी और प्रेमिका की याद में मनाया जाता है गोटमार मेला
इस गुड मॉर्निंग को लेकर अनेक किस्से कहानियां एवं निवेदन किया है इसका आरंभ कब हुआ इसके संबंध में लोग बताते हैं कि इस मेले का आरंभ 17 वीं ई. हुआ इसके संबंध में एक प्रचलित की विनंती यह है कि सावरगांव की एक आदिवासी कन्या का पांढुरना के किसी लड़के से प्रेम हो गया दोनों ने चोरी छिपे प्रेम विवाह कर लिया। पांढुरना का लड़का साथियों के साथ सावरगांव जाकर लड़की को भगाकर अपने साथ ले जा रहा था।

युवक-युवती अभी नदी पार ही कर रहे थे कि सावरगांव के लोगों को पता चला और उन्होंने लड़के व उसके साथियों पर पत्थरों से हमला शुरू किया। जानकारी मिलने पर पहुंचे पांढुरना पक्ष के लोगों ने भी जवाब में पथराव शुरू कर दी। पांढुरना पक्ष एवं सावरगाँव पक्ष के बीच इस पत्थरों की बौछारों से इन दोनों प्रेमियों की मृत्यु जाम नदी के बीच ही हो गई।दोनों प्रेमियों की मृत्यु के पश्चात दोनों पक्षों के लोगों को अपनी शर्मिंदगी का एहसास हुआ और दोनों प्रेमियों के शवों को उठाकर किले पर माँ चंडिका के दरबार में ले जाकर रखा और पूजा-अर्चना करने के बाद दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। संभवतः इसी घटना की याद में माँ चंडिका की पूजा-अर्चना कर गोटमार मेले का आयोजन किया जाता है।
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