संजय द्विवेदी
बैतूल- सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए जिला चिकित्सालय के सरकारी डॉक्टरों ने लगभग दो घंटे तक सांकेतिक हड़ताल कर बैतूल आए प्रभारी मंत्री इंदल सिंह परमार को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याएं बताईं।
जिसमें केंद्र के सामान डीएसीपी और प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप बंद करने की मांग प्रमुख है। इस संबंध में सरकारी डॉक्टर एसोसिएशन के डॉ. रानू वर्मा ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में यूनिफार्म जेएसीपी (क्रमिक पदोन्नति) लागू की जाए, प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप बंद किया जाए, पुरानी पेंशन बहाल की जाए, आदि प्रमुख मांगे हैं। यदि सरकार मांगे पूरी नहीं करती है

तो बुधवार 3 मई से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी। डॉक्टरों का कहना है कि यदि सरकार मांगे पूरी नहीं करती है तो बुधवार 3 मई से वे अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी। हड़ताल के दौरान मरीजों को जो भी परेशानियां होगी, उसकी जवाबदारी सरकार और शासन-प्रशासन की होगी। आज डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल उपचार कराने पहुंचे मरीज परेशान होते रहे।

डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर प्रभारी मंत्री इंदरसिंह परमार, सांसद डीडी उइके को भी ज्ञापन सौंपकर मांगे पूरी करने की मांग की। अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा कई बार मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपकर मांगे पूरी करने के लिए ज्ञापन सौंपा लेकिन मांगे पूरी नहीं हुई। नाराज डॉक्टरों ने मंगलवार को दो घंटे तक अस्पताल में ही बैठकर हड़ताल की।

सुबह 11 बजे से 1 बजे तक मरीज उपचार के लिए तरसते रहे।
ओपीडी की पर्ची काटने के बाद मरीज डॉक्टरों को इधर-उधर ढूंढते रहे लेकिन डॉक्टर नहीं मिले। जिला चिकित्सालय में इमरजेंसी डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई थी। वे डॉक्टर इलाज करते नजर आए लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल का असर जिला अस्पताल में भी दिखाई दिया। सुबह अपने समय पर डॉक्टर अस्पताल पहुंचे और उन्होंने 11 बजे तक अपनी सेवाएं दी। इसके बाद डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो गई। दो घंटे तक चली हड़ताल के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों का कहना है कि इसके पूर्व भी हड़ताल की थी, तब सरकार ने एक कमेटी गठित कर मांगे पूरी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक आश्वासन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके कारण दोबारा हड़ताल शुरू करना पड़ी है।
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