मुलताई -15 वर्षीय छात्र विक्रम राठौड़ हेल्थ सिटी चिल्ड्रन हॉस्पिटल नागपुर मे अपनी जिंदगी से जूझ रहा है। विक्रम की आंखों में भी सामान्य बच्चों की तरह अनेक सपने थे वह 10 वीं पास होना चाहता था लेकिन जिस दिन उसका जन्मदिन था उसी दिन डॉक्टरो को विक्रम की जान बचाने के लिए एक पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा
अब कभी विक्रम अपने दोनों पैरों पर नहीं चल पाएगा। हम उससे मिलने जब क्रिश हास्पीटल पहुंचे और जब हमने उससे पूछा कि अब कैसा लग रहा है तो उसने कहा दर्द तो हो ही रहा है । हमने जब उसे यह पूछा कौन सी क्लास पढ़ते हो तो शायद वह हमे डॉक्टर समझ रहा था मासूमियत से विक्रम ने कहा था दसवीं में फार्म भरा है डॉक्टर साहब आप मुझे पास करा देना इसके बाद हमारी स्थिति वैसी थी जो एक संवेदनशील व्यक्ति की हो सकती है और हम लौट आए।

किंतु एक प्रश्न अब तक हमारे जहन में घूम रहा है कि हम ऐसा क्या कर सकते हैं कि आज के बाद कोई विक्रम या मासूम सी बच्ची प्रज्ञा को अपने शरीर का कोई अंग खोना ना पड़े। विक्रम को नागपुर हॉस्पिटल ले जाया गया है जहां उसका उपचार चल रहा है। लेकिन अब वह कभी अपने दोनों पैरों पर नहीं चल पाएगा। विक्रम की इस दशा के लिए उसका परिवार नगर के एक निजी हॉस्पिटल के संचालक प्रवीण शुक्ला पर गलत इलाज का आरोप लगा रहे हैं जो कि बहुत ही गंभीर और संवेदनशील मामला है।

विक्रम के गलत इलाज के आरोप के संबंध में हमने जब अनमोल निजी हॉस्पिटल संचालक डॉ प्रवीण शुक्ला से चर्चा की तो उनका कहना था अगर हम गलत इलाज करते हमारे पास सुविधाएं नहीं होती तो शासन हमें 50 बेड की परमिशन क्यों देता, हमारे हॉस्पिटल को आयुष्मान कार्ड पर उपचार करने की पात्रता शासन से क्यों मिलती। इस संबंध में भारतीय जनता युवा मोर्चा अध्यक्ष निखिल जैन कहते हैं कि जिस निजी अस्पताल पर आए दिन गलत इलाज करने का आरोप लगता हो,

कुछ ही दिनों पहले जिस प्रवीण शुक्ला के निजी अस्पताल पर जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा कार्यवाही की गई हो, कुछ ही दिनों बाद उस हॉस्पिटल को 50 बेड की परमिशन कैसे मिल गई और उन्हें आयुष्मान कार्ड पर इलाज करने की पात्रता कैसे दे दी गई, इसके मापदंड क्या होने चाहिए और इस निजी अस्पताल में क्या यह सभी साधन उपलब्ध है इसकी जांच की जानी चाहिए हम इसकी शिकायत जिला स्वास्थ्य मंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों से करेंगे ताकि संपूर्ण मामले की जांच हो सके ।

मुलताई नगर मे अनेकों एम.बी.बी.एस. डॉक्टर है जो 20-20 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिन पर आज तक कभी गलत इलाज का आरोप नहीं लगा फिर इसी निजी क्लीनिक पर आए दिन गलत इलाज का आरोप क्यों लगते हैं ? आए दिन ज्ञापन क्यों सौपे जाते हैं ? क्यों शिकायतें होती है और इन शिकायतों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो पाती ? एक उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में भी जनप्रतिनिधि चाहे वह किसी भी दल के हों मौन क्यों हो जाते हैं….?
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