आमला-सारणी मार्ग के निर्माण को लेकर कांग्रेसियों ने ज्ञापन सौंप किया पुतला दहन

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आमला – ग्रामीण क्षेत्रों में सड़के जर्जर है, इससे सुगम आवागमन की परिकल्पना साकार नहीं हो पा रही। हालात यह है कि शहरों की दूरी कम करने वाली सड़कों पर गड्ढे है और वाहन चालक आए दिनों हादसों का शिकार हो रहे।

सड़कों की समस्या को लेकर युवा कांग्रेस आमला विस उपाध्यक्ष प्रदीप कोकाटे के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप पुतला दहन किया ।ज्ञापन में कांग्रेसी मनोज मालवे, मनीष नागले, भूषण कांति, संतोष यादव, दुर्गेश यादव, कन्हैया साहू ने बताया कि आमला-सारणी मार्ग अत्यंत जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। सड़क  पर जगह-जगह गड्डे हो गये हैं, पुल-पुलिया व्यवस्थित नहीं है।

आवागमन में आम जनता को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा हैं। दुर्घटना का भय हमेशा लगा रहता हैं। आमला-सारणी मार्ग घुमावदार, चड़ावदार एवं घाटीभरा हैं, जो चार पहिया वाहन बस आदि के लिए उपयुक्त नहीं हैं। जबकि विधानसभा को जोडऩे वाला यहां एकमात्र मार्ग है,  जिससे सारणी की दूरी महज 27 किमी है। कांग्रेसियों ने आमला-सारणी मांर्ग का नये सिरे से निमार्ण कर सुगम बनाने की मांग की है। 

हजारों लोग लोग करते है आना-जाना-

आमला-सारणी मार्ग पर कई गांवों के हजारों लोगों का आना-जाना है। यह मार्ग सारणी से आमला की दूरी को कम करता है। जिसकी वजह से अधिकतर आमला-सारणी के लोग इसी मार्ग का उपयोग करते है। लेकिन मार्ग जर्जर और पुलिया क्षतिग्रस्त होने के कारण लोगों को रात्रि में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राहुल बेले, लोकेश यादव, किशोर माथनकर ने बताया कि रात्रि के समय दोपहिया वाहनों के आवागमन में खासी दिक्कत होती है। सड़क उखडने से मार्ग उबड़-खाबड़ हो गया है। जिस पर लोग गिरकर चोटिल हो रहे है। 

कई गांव होगे आर्थिक समृद्ध-

आमला-सारणी मार्ग का पुर्ननिर्माण होने से इस मार्ग पर पडऩे वाले कई गांव समृद्ध होगे।अभी आवागमन की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहे। कांग्रेसी संतोष यादव, सीमा अतुलकर, मनीष नागले ने बताया कि आमला-सारणी मार्ग पर बसे गांव के किसान अनाज की पैदावार तो कर लेते हैं, लेकिन किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है, क्योंकि अनाज मंडी तक नहीं ले जा पाते, वहीं खरीदार अनाज खरीदने गांव नहीं पहुंच रहे हैं, जिसके चलते गांव के किसानों को मजबूर होकर औने-पौने दामों में उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है। यदि आमला-सारणी मार्ग बनता है तो दर्जनों गांव आर्थिक समृद्ध होगे। वहीं आवागन के अलावा स्वास्थ्य सुविधाएं भी आसानी से मिल पायेगी।


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