भोपाल -कोरोना महामारी से अभी पूरी तरह से निजात मिल भी नहीं पाई है कि एक बार फिर दुनिया पर मंकी पॉक्स(monkeypox) बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। भारत में अभी तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया, लेकिन निगरानी बढ़ा दी गई है।
11 देशों में मंकी पॉक्स के 80 मामले कंफर्म हो गए वही 50 जांच के दायरे में है। डब्ल्यूएचओ(WHO) के मुताबिक मंकी पॉक्स का पहला मामला लंदन में 5 मई को आया था। जब एक ही परिवार के तीन लोगों के बीच यह संक्रमण देखा गया। इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन को 13 मई को दी गई थी। लेकिन अब तक यह बीमारी धीरे-धीरे 11 देशों में फैल चुकी है। लेकिन अन्य देशों के मामले को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने सभी राज्यों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है।ब्रिटेन, स्पेन, कनाडा के बाद अमेरिका में भी इस वायरस के केस की पुष्टि हुई है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वायरस बंदरों से फैलता है। बंदरों के अलावा यह गिलहरी और चूहा में भी पाया जाता है। मंकी पॉक्स वायरस स्मॉल पॉक्स से के संबंधित है। मंकीपॉक्स का कोई निर्धारित इलाज नहीं है। लेकिन अगर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही मरीज का इलाज हो जाए तो इससे स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन लगा दी जाए तो इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मंकी पॉक्स के लक्षण को नजरअंदाज ना करें।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है
मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान ही होते हैं। और इसकी शुरुआत बुखार से होती है। सर दर्द,मांसपेशियों में दर्द और थकावट का भी अनुभव होता है। चेचक और मंकीपॉक्स के लक्षण के बीच मुख्य अंतर यह है कि मंकीपॉक्स के कारण लिंफ नोड शूज जाते हैं। जबकि चेचक मे यह नहीं होता।