मुलताई- जल संसाधन विभाग उप संभाग मे सुरक्षित रखी 33 वर्ष पुरानी 3 फीट ऊंची एवं ढाई फीट चौड़ी शील्ड आश्चर्य का विषय बनी हुई है। यह शील्ड अपने आप में 33 वर्षों का इतिहास समेटे हुए तो है ही ,साथ ही यह शिल्ड सेट खुशीराम की यादों से भी जुड़ी है ,
यह शिल्ड बताती हैं कि, 33 वर्ष पूर्व भी नगर में दुर्गा उत्सव अत्यंत भव्य रूप से मनाया जाता था, जिसमें मंडलों को प्रोत्साहित करने हेतु झांकियों को पुरस्कृत भी किया जाता था।
सन 1988 में सिंचाई विभाग को भेंट की गई, इस रनिंग शिल्ड के बीचो बीच मां दुर्गा की प्रतिमा लगी है। यह शिल्ड इसलिए भी आश्चर्य का विषय है

क्योंकि सामान्यतः वर्तमान समय में मिलने वाली शिल्ड 1 फीट से अधिक बड़ी नहीं होती ,किंतु इस चिल्ड की लंबाई चौड़ाई आश्चर्यचकित करती है। सामान्यतः इस साइज की शील्ड वर्तमान समय में दिखाई देना कठिन है। सिंचाई विभाग ने इसे 33 वर्षों से संभाल कर रखा है। जल संसाधन एसडीओ सीएल मरकाम शिल्ड के संबंध में जानकारी देते हुए बताते हैं कि, यह शिल्ड जल संसाधन मुख्य विभाग के स्टोर रूम में रखी हुई थी, मैंने देखा तो मुझे यह शिल्ड परंपरागत विरासत लगी क्योंकि यह शिल्ड 1988 में सिंचाई विभाग में प्रतिवर्ष विराज ने वाली मां दुर्गा की झांकी को प्रथम पुरस्कार के रूप में दी गई थी। यह शिल्ड तत्कालीन समाजसेवी एवं नगर सेठ स्वर्गीय सेठ खुशीराम द्वारा सिंचाई विभाग को प्रदत्त की गई थी, एक तरह से यह सेठ खुशीराम जी से जुड़ी याद भी है

क्योंकि यह शिल्ड सेठ खुशीराम द्वारा अपने हाथों से सिंचाई विभाग को प्रदान की गई थी जो कि एक रनिंग शिल्ड थी। इस शिल्ड पर दिनांक एवं उनका नाम अंकित है । शिल्ड पर अंकित सन यह बताता है कि पवित्र नगरी मुलताई में आज से 33 वर्ष पूर्व दुर्गा उत्सव पूरे उत्साह पूर्वक होता था और जिस में दुर्गा पंडालों को प्रोत्साहित करने हेतु झांकियों को पुरस्कृत भी किया जाता था। यह शिल्ड इसका प्रमाण होने के साथ ही नगर की धरोहर और उससे जुड़े इतिहास का आधार भी है ।इसलिए सिचाई विभाग इस शिल्ड को अब तक सजो कर रखे हुए हैं। समय के साथ इस शिल्ड मे कलर एवं फील्ड में लगे मेटल मे चमक कम हो गई है जिसे मूल रूप में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।
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